🌲आ गया फिर से
🌲जिसका इंतजार कर रहे वो
🌲जिसका कोई लेना देना नही
🌲एक मसखरे की टोपी लगाए
🌲सारा शहर खून से लतपत सा
🌲प्रतीत होगा
🌲फिर, वही ची पों हुल्लड़बाजी
🌲चुम्मा चाटी
🌲संस्कृति के नाम पर फिर एक बार
🌲आजादी
🌲और अपने पुरखों को जीते जी मार दे
🌲ऐसी एक नई आबादी
🌲अब न कोई रोकने वाला न टोकने वाली
🌲न कोई प्रशासन न कोई अधिकारी
🌲आखिर लोकतंत्र है जी
🌲तुम कैसे बकते हो ये संस्कृति है हमारी
🌲कौन कहॉ का हनन या पर्यावरण
🌲शराब है, बैंड है बाजा है, कैंडल है
🌲वेश्टर्न कल्चर मे कहॉ होती है साडी
🌲वो है न, जिन्हें रखा है हमने
🌲आज भी और तब भी
🌲जब उनके जिन्हें बेफिजूली त्योहार कहते हो
🌲मजाल है कर दे बंद दुकानदारी
🌲दो पटिया पर लटका रहा दिनभर
🌲न माना वो जब
🌲आखिर हम भी तो ठहरे वही #खूटाधारी
#SadharanManushya
©#maxicandragon
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