समुन्दर किनारे बैठे हम आसमाँ को तरसते है. उन पंछियों से पूछिए जरा वो क्यूँ मंजीलो से भटकटे है. बदकिस्मत दिल से पूछिए क्यूँ उनकी यादो में धड़कते है उठती लहरो.
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