और बताओ?
कैसा रहा इस साल का आखिरी महीना आपका,
मेरा तो लगता है मेरे इस साल का अंत ही नहीं होगा कभी ।
क्या तुम आज भी वैसे ही हो,
जैसे पहले हुआ करती थी।
क्या आज कल भी आपका इरादा ?
कुछ मुझे परेशान करने का होता है ,
जैसे की पहले हुआ करता था।
क्युकी मैं आज भी आपकी शैतानियों को ,
याद करके हसता हूं।
और हां क्या अभी भी कोई काम करने से पहले ?
आपको मेरे इजाजत की जरूरत पड़ती है ,
जैसे की पहले हुआ करती थी।
क्युकी मेरी तो आज भी हर बात को,
काटने की आदत नही गई है ।
जैसे की पहले अपनी बातों से ,
हम आपका जायजा किया करते थे।
और हां क्या आज भी आपको ?
उन उंगलियों की जरूरत पड़ती है ,
जैसे की पहले पड़ा करती थी ।
या फिर रास्ता ही भटक जाया करती हैं ,
जैसे पहले भटक जाया करती थीं ।
लेकिन हां मैं तो आज भी उन रास्तों में ,
आपको ढूढता रहता हु ।
की शायद कही गुम सा,
फिर से आप आ गले मिलो मुझसे।।
©Daya Triapthi
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