गुजरा बचपन साथ हमारा हमसफ़र थे हम दोनों,,
सिर्फ एक
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गुजरा बचपन साथ हमारा हमसफ़र थे हम दोनों,, सिर्फ एक दूसरी की खुशियों में नही दर्द के भी तो हकदार थे हम।। जान बसती थी मेरी तुझमे,, तू भी तो अपने दिल का टुकड़ा कहती थी ।। वार रखी थी तुझपर सारी खुशियाँ,, तूने भी तो मेरे हर गम को अपनाया था।। फिर हुई ऐसी भी क्या खता ,, जो भूल गई सारे वादे।।

 गुजरा बचपन साथ हमारा हमसफ़र थे हम दोनों,,
सिर्फ एक दूसरी की खुशियों में नही दर्द के भी तो हकदार थे हम।।

जान बसती थी मेरी तुझमे,,
तू भी तो अपने दिल का टुकड़ा कहती थी ।।

वार रखी थी तुझपर सारी खुशियाँ,,
तूने भी तो मेरे हर गम को अपनाया था।।

फिर हुई ऐसी भी क्या खता ,,
जो भूल गई सारे वादे।।

गुजरा बचपन साथ हमारा हमसफ़र थे हम दोनों,, सिर्फ एक दूसरी की खुशियों में नही दर्द के भी तो हकदार थे हम।। जान बसती थी मेरी तुझमे,, तू भी तो अपने दिल का टुकड़ा कहती थी ।। वार रखी थी तुझपर सारी खुशियाँ,, तूने भी तो मेरे हर गम को अपनाया था।। फिर हुई ऐसी भी क्या खता ,, जो भूल गई सारे वादे।।

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