Child Labour quotes
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Happiness Is Seeing Your Child's Happy. ©Sai Angel Shaayari

 Happiness Is Seeing Your Child's Happy.

©Sai Angel Shaayari

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12 Love

✍️आज की डायरी✍️ ✍️आज के दौर में भी.....✍️ कह देने से लड़की लड़कों के बराबर नहीं होती , आज के दौर में भी भेदभाव दिखाई देता है । लड़के के जन्म पर हर तरफ़ शोर मचा देते हैं , लड़की के जन्म पर आवाज भी नहीं सुनाई देता है ।। (१) पहली संतान लड़की हो तो खुशी मना लेते हैं , दूसरी गर हो जाये तो दबे मन से मुस्कुरा देते हैं , फ़िर वंश के लिए समाज इन्हें पराई कर देता है । आज के दौर में भी भेदभाव दिखाई देता है ।। (२) स्त्रियाँ ही फिर बालक के लिए बहुत जोर देती है , दुःख ये है कि स्त्री ही लड़की का विरोध करती है , अनवरत फिर संतानों का होना जगहसाई होता है । आज के दौर में भी भेदभाव दिखाई देता है ।। ( ३) मुझे बस आज इस समाज को ये बात बताना है , लड़कियों को पराया धन नहीं गृह लक्ष्मी बनाना है , लड़कों से समानता के लिए सभी लड़कियों को , अपने वजूद के लिए स्वतः पैरों पर खड़े हो जाना है , लड़की को सम्मान देने में अपनों से ही लडाई होता है । आज के दौर में भी भेदभाव दिखाई देता है ।। (४) ©डॉ राघवेन्द्र

#कविता #CHILD_LABOUR  ✍️आज की डायरी✍️

            ✍️आज के दौर में भी.....✍️

कह देने से लड़की लड़कों के बराबर नहीं होती , 
आज के दौर में भी भेदभाव दिखाई देता है । 
लड़के के जन्म पर हर तरफ़ शोर मचा देते हैं  , 
लड़की के जन्म पर आवाज भी नहीं सुनाई देता है  ।। (१) 

पहली संतान लड़की हो तो खुशी मना लेते हैं  , 
दूसरी गर हो जाये तो दबे मन से मुस्कुरा देते हैं  , 
फ़िर वंश के लिए समाज इन्हें पराई कर देता है  । 
आज के दौर में भी भेदभाव दिखाई देता है  ।। (२) 

स्त्रियाँ ही फिर बालक के लिए बहुत जोर देती है , 
दुःख ये है कि स्त्री ही लड़की का विरोध करती है , 
अनवरत फिर संतानों का होना जगहसाई होता है  । 
आज के दौर में भी भेदभाव दिखाई देता है  ।। ( ३)

मुझे बस आज इस समाज को ये बात बताना है , 
लड़कियों को पराया धन नहीं गृह लक्ष्मी बनाना है  , 
लड़कों से समानता के लिए सभी लड़कियों को  , 
अपने वजूद के लिए स्वतः पैरों पर खड़े हो जाना है  , 
लड़की को सम्मान देने में अपनों से ही लडाई होता है  । 
आज के दौर में भी भेदभाव दिखाई देता है  ।।  (४)

©डॉ राघवेन्द्र

#CHILD_LABOUR

12 Love

#कविता #CHILD_LABOUR  ✍️आज की डायरी✍️

            ✍️आज के दौर में भी.....✍️

कह देने से लड़की लड़कों के बराबर नहीं होती , 
आज के दौर में भी भेदभाव दिखाई देता है । 
लड़के के जन्म पर हर तरफ़ शोर मचा देते हैं  , 
लड़की के जन्म पर आवाज भी नहीं सुनाई देता है  ।। (१) 

पहली संतान लड़की हो तो खुशी मना लेते हैं  , 
दूसरी गर हो जाये तो दबे मन से मुस्कुरा देते हैं  , 
फ़िर वंश के लिए समाज इन्हें पराई कर देता है  । 
आज के दौर में भी भेदभाव दिखाई देता है  ।। (२) 

स्त्रियाँ ही फिर बालक के लिए बहुत जोर देती है , 
दुःख ये है कि स्त्री ही लड़की का विरोध करती है , 
अनवरत फिर संतानों का होना जगहसाई होता है  । 
आज के दौर में भी भेदभाव दिखाई देता है  ।। ( ३)

मुझे बस आज इस समाज को ये बात बताना है , 
लड़कियों को पराया धन नहीं गृह लक्ष्मी बनाना है  , 
लड़कों से समानता के लिए सभी लड़कियों को  , 
अपने वजूद के लिए स्वतः पैरों पर खड़े हो जाना है  , 
लड़की को सम्मान देने में अपनों से ही लडाई होता है  । 
आज के दौर में भी भेदभाव दिखाई देता है  ।।  (४)

©डॉ राघवेन्द्र

#CHILD_LABOUR

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युग -युग से चलता आ रहा, बस एक युगवाणी सिर्फ प्रेम चरितार्थ करने में,मत व्यर्थ करो जवानी मानता हूं मन तेरा अभी, है प्रेम का प्यासा पर जिंदगी के है, और भी कई अभिलाषा अभी नजर न फेरे तुम तो, मिलेंगी बहुत निराशा जब खिलौने के जिद में, बच्चे कहेंगे पापा-पापा ©Rajesh Yadav

#CHILD_LABOUR #Quotes  युग -युग से चलता आ रहा, बस एक युगवाणी
सिर्फ प्रेम चरितार्थ करने में,मत व्यर्थ करो जवानी

मानता हूं मन तेरा अभी,  है प्रेम का प्यासा
पर जिंदगी के है, और भी कई अभिलाषा
अभी नजर न फेरे तुम तो, मिलेंगी बहुत  निराशा 
जब खिलौने के जिद में, बच्चे कहेंगे पापा-पापा

©Rajesh Yadav

#CHILD_LABOUR ग़ज़ल में कोई गहराई ना बचे, इसलिए मैंने आखिरी में पापा पापा का इस्तेमाल किया है।। समझदार के लिए तो इशारा काफ़ी है।

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जिम्मेवारी जब कंधो पर पड़ती हैं तो अक्सर बचपन याद आ ही जाता हैं! ©अभी कुछ बाकी हैं

#शायरी #CHILD_LABOUR  जिम्मेवारी जब कंधो पर पड़ती हैं
तो अक्सर बचपन याद आ ही जाता हैं!

©अभी कुछ बाकी हैं

#CHILD_LABOUR

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 କଁଅଳ ଶିଶୁକନ୍ୟାର କରୁଣ ଚିତ୍କାର

ମୁଁ ବଞ୍ଚିବାକୁ ଚାହେଁ , ମତେ ବଞ୍ଚିବାକୁ ଦିଅ..
ମୋ ଇଚ୍ଛା ଦୁନିଆକୁ , ମତେ ଦେଖିବାକୁ ଦିଅ. ।
ମୁଁ ନିଷ୍ପାପ କନ୍ୟା ଟିଏ , ମତେ ପାପି କୁହନା
ମୁଁ ଆଶାର ଦୀପଟିଏ , ମୋତେ ଲିଭେଇ ଦିଅନା. ।
ମୋ ଜନ୍ମିବା ବୋଝ ନୁହଁ , କାହିଁ ଏତେ ଘୃଣା କର..
ମୁଁ ଡଷ୍ଟବିନ୍ ର ଅଳିଆ ନୁହଁ , କଣ ପାଇଁ ଫିଙ୍ଗିଦିଅ ?
ମୁଁ ଗୋଟିଏ ସୁଯୋଗ ଚାହେଁ , ବାସ୍ ଭ୍ରୁଣହତ୍ୟା କରନା
ମୁଁ ସେହି ଶିକ୍ଷା ଚାହେଁ  ,  ବାସ୍ ନାରୀତ୍ଵ ହରାଇନା. ।
ମୁଁ ସମାଜର କଳଙ୍କ ନୁହଁ , କରନା ମୋତେ କଳଙ୍କିତ..
ମୁଁ ଖେଳିବା କଣ୍ଢେଇ ନୁହଁ , ଖେଳନା ମୋ ସହିତ . ।
ପାଦେ ପାଦେ ଏଠି କାମରାକ୍ଷସ , ସବୁଦିନ ବଳୀ ମୋର
କାମୁକ ଭୋକ ମେଣ୍ଟାଇବା , ବଳାକ୍ତାର ମୋ ଶରୀର. ।
କଳୁଷିତ ଏହି ସମାଜ ରେ , କଳଙ୍କ ଯେ ସବୁ ମୋର..
ନ୍ୟାୟ, ଅନ୍ୟାୟ  ବିଚାରେ କିଏ, ଆଇନ ତ ଏଠି ବଧିର ।
କାମନାର ଏହି ଜଟିଳ ରଜ୍ଜୁରୁ, ମୁକ୍ତି ନାହିଁ କି ମୋର..
କ'ଣ କେବେ ବୁଝିବନି ସମାଜ, ନାରୀ ଜନ୍ମର ସାର ।
ଭାବନାହିଁ କେହି ଅଭିଶାପ , ଜନ୍ମମୋର ବରଦାନ..
ମୁଁ ବି କାହାର ଭଉଣୀ, ମାଆ, ଏହା କି ତୁମେ ନ ଜାଣ।
କନ୍ୟରୂପେ ମୁହିଁ ଲକ୍ଷ୍ମୀ ଟିଏ , କରନାହିଁ ଅନାଦର..
ଦୁର୍ଗାରୂପେ ମୁ ଶକ୍ତି ସ୍ୱରୂପା, କରନାହିଁ ହତାଦର. ।
ମୁଁ ନୁହଁ ଅବଳା, ଦୂର୍ବଲା , ଭାବନହିଁ ଶକ୍ତିହୀନ..
ରାଗିଲେ ମୁ କାଳୀ,ଚଣ୍ଡିକା , କରିବି ମୁଣ୍ଡହୀନ. ।

©Iswar Meher

write' for girls child ,।।

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