देखो अहले सुबह मै ये लिख रहा हूं..
अभी तुम नींद में गोते लगा रही होगी,
चेहरे पे एक सुकून होगा,
लटें चेहरे पे आकर तुम्हे छेड़ने की
कोशिश करेंगे,
और चुपके से तुम्हारे सिरहाने बैठ
कर ,
मै,
उन्हें एक तरफ करूंगा,
मुझे हमेशा से ये पल
बेहद ख़ूबसूरत लगता है,
मेरे स्पर्श से तुम्हारा
ख़ुद को समेट कर मुझमें सौंप देना..
उस पल में सिर्फ
हमदोनो का होना,
तुम्हारी अलसाई आंखे
ठीक वैसे हीं जैसे
नन्हे पौधे अंगड़ाई ले रहे हों..
दिन भर की धूप और थकान को
भोर के इस पल में
मिटा लेना हो...
मै तुम्हे जगाने आया था
पर तुम्हे यूं सुकून में देख
बस,
पेशानी पर लबों की छाप
छोड़ देता हूं।
देखो हम दोनों के जिए हुए पल को
लिख कर
फ़िर से जी लेता हूं..!!
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