River Bank Blue
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नदी सी है जिंदगी हर मोड,हर कसबा , संभाल के चलते आये है ….. किस्मत मे समंदर से मिलना लिखा नहीं शायद तो रुख रेगीस्तान की और मोड लिया।। बात ख्वाहीश की नहीं मजबुरी की है …. आपका हमदर्द ©Kiran Pawara

#विचार #Nature  नदी सी है जिंदगी
हर मोड,हर कसबा ,
संभाल के चलते आये है …..

किस्मत मे समंदर से 
मिलना लिखा नहीं शायद तो
रुख रेगीस्तान की और मोड लिया।।

बात ख्वाहीश की नहीं 
मजबुरी की है ….

आपका हमदर्द

©Kiran Pawara

#Nature

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Rivers never go reverse So try to live like a river. Forget your past and focus on your future. ©SAROJINI BEHERA

#Riverbankblue  Rivers never go reverse
So try to live like a river.
Forget your past and
focus on your future.

©SAROJINI BEHERA

सहज मिले सो दूध सम , माँगा मिले सो पानी कहे कबीर वह रक्त सम , जामे ऐचा तानि ll ©Virendra Kumar

#Riverbankblusahee #भक्ति  सहज मिले सो दूध सम ,
माँगा मिले सो पानी 
कहे कबीर वह रक्त सम ,
जामे  ऐचा तानि ll

©Virendra Kumar

दोहा गंगा के तट पर मिले,धोते पाप जनाब। कौन कौन से पाप का,करते फिरे हिसाब।। ©Dr Nutan Sharma Naval

#दोहावली #Motivational  दोहा
गंगा के तट पर मिले,धोते पाप जनाब।
कौन कौन से पाप का,करते फिरे हिसाब।।

©Dr Nutan Sharma Naval
 வாழ்க்கை என்பது..
நீரோடை போன்றது,,!

அறம் தள்ளிய..
மனிதர்களின் வாழ்க்கை..
கழிவு நீரோடை போன்றது..

புறம் கூறாது..
அறம் மாறாது..
துல்லியமாக வாழும் 
மனிதர்களின் வாழ்க்கை..
தெள்ளிய நீரோடை வாழ்க்கை,,!

©Nagai.S.Bala Murali

#Riverbankblue #கவிதை

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"हमारी नदी बनास" बढ़ रही है,गर्मी नदी में छलांग मार दो आयेगा आनंद साथ दोस्त भी उतार लो ये कोरी नदी नही,इससे जुड़ा नाता कोई इस नदी को मां के जैसे ही स्वीकार लो इसमें नहाए-धोए,इसका हमने पानी पिया, इसको स्वार्थ के लिए,खूब प्रदूषित किया फिर भी इस बनास मां ने उफ्फ न किया जगह-जगह पर इसका तन छलनी किया गर न होती बनास,रह जाता राजथान प्यासा इसे कहे,वन आस बहे वर्षभर न कि चौमासा हमारी नदी बनास,कृषि साथ बुझाती प्यास गर यह भरे,किसानों के लिये राहत की सांस नही तो आएगी,एकदिन एक ऐसी सुनामी डूब जाओगे उसमें कई लोग नामी-गिरामी वक्त रहते तुम-सब अपनी गलती सुधार लो नदी खोदना बंद करो,इसे मां सदृश्य प्यार दो बनास मां को स्वच्छता का ऐसा संसार दो देखे,हर कोई इसमें चेहरा,ऐसा चमत्कार दो मानव की सारी सभ्यता,नदी किनारे बसी फिर स्वार्थ के लिये क्यों करी,नदियां गन्दी सुधर जाओ,न तो एकदिन सूख जायेगी नदी फिर तुम,प्यास के लिये भटकोगे 21वीं सदी वक्त रहते,सभी नदियों की सार सम्भाल लो इन्हें मां समझो,खुद को पुत्र सा व्यवहार दो दिल से विजय विजय कुमार पाराशर-"साखी" ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

#कविता #Riverbankblue  "हमारी नदी बनास"
बढ़ रही है,गर्मी नदी में छलांग मार दो
आयेगा आनंद साथ दोस्त भी उतार लो
ये कोरी नदी नही,इससे जुड़ा नाता कोई
इस नदी को मां के जैसे ही स्वीकार लो
इसमें नहाए-धोए,इसका हमने पानी पिया,
इसको स्वार्थ के लिए,खूब प्रदूषित किया
फिर भी इस बनास मां ने उफ्फ न किया
जगह-जगह पर इसका तन छलनी किया
गर न होती बनास,रह जाता राजथान प्यासा
इसे कहे,वन आस बहे वर्षभर न कि चौमासा
हमारी नदी बनास,कृषि साथ बुझाती प्यास
गर यह भरे,किसानों के लिये राहत की सांस
नही तो आएगी,एकदिन एक ऐसी सुनामी
डूब जाओगे उसमें कई लोग नामी-गिरामी
वक्त रहते तुम-सब अपनी गलती सुधार लो
नदी खोदना बंद करो,इसे मां सदृश्य प्यार दो
बनास मां को स्वच्छता का ऐसा संसार दो
देखे,हर कोई इसमें चेहरा,ऐसा चमत्कार दो
मानव की सारी सभ्यता,नदी किनारे बसी
फिर स्वार्थ के लिये क्यों करी,नदियां गन्दी
सुधर जाओ,न तो एकदिन सूख जायेगी नदी
फिर तुम,प्यास के लिये भटकोगे 21वीं सदी
वक्त रहते,सभी नदियों की सार सम्भाल लो
इन्हें मां समझो,खुद को पुत्र सा व्यवहार दो
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
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