जब बहुत अकेला होता हूँ या
चिंतित होता हूँ तो
चूम ल
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जब बहुत अकेला होता हूँ या चिंतित होता हूँ तो चूम लेता हूँ तुम्हारा हाथ मेरे पास है एक जोड़े हाथ की तस्वीर जिसमें एक हाथ तुम्हारा है इस निर्जीव तस्वीर से भी हो जाते हैं मेरे होंठ हरे पोर-पोर में दौड़ने लगता है जीवन जैसे छा जाता है मुझ पर बसन्त जब तुम करती हो प्रेम की बात मैं तब हरियाता हूँ किन्तु जब लगता है उबाऊ तुम्हें मेरा 'मुझे तुमसे प्रेम है' कहना मैं सूखने लगता हूं जब तुम जाना चाहोगी दूर ये पतझड़ होगा जिसमें पत्तों के स्थान पर गिरेगी प्राणवायु तुम्हारा जाना मेरा ठूंठ होना होगा अचानक प्रेम में दूर चले जाने के भाव में तुम्हें जाने का अधिकार तो है किंतु ठहर जानें.. न जाने की विनय के साथ। राघवेन्द्र

#Darknight  जब बहुत अकेला होता हूँ या
चिंतित होता हूँ तो
चूम लेता हूँ तुम्हारा हाथ
मेरे पास है एक जोड़े हाथ की तस्वीर
जिसमें एक हाथ तुम्हारा है
इस निर्जीव तस्वीर से भी
हो जाते हैं मेरे होंठ हरे
पोर-पोर में दौड़ने लगता है जीवन
जैसे छा जाता है मुझ पर बसन्त

जब तुम करती हो प्रेम की बात
मैं तब हरियाता हूँ
किन्तु जब लगता है उबाऊ तुम्हें
मेरा 'मुझे तुमसे प्रेम है' कहना
मैं सूखने लगता हूं

जब तुम जाना चाहोगी दूर
ये पतझड़ होगा 
जिसमें पत्तों के स्थान पर गिरेगी प्राणवायु
तुम्हारा जाना मेरा ठूंठ होना होगा अचानक

प्रेम में दूर चले जाने के भाव में
तुम्हें जाने का अधिकार तो है किंतु
ठहर जानें.. न जाने की विनय के साथ।

राघवेन्द्र

कविता #Darknight

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