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प्रेम में लगे वृक्ष जीते हैं एक शापित जीवन
बिना अपने पालनहारों के
अलग हुए प्रेमियों की याद में ही
हर पतझड़ गिरा देता है अपनी पत्तियां नीम
सुनों प्रेमियों,
यदि हार भी जाओ तुम अपने प्रिय को संसार में,
तब भी तुम मत करना समर्पण दुःख के आगे
तुम्हारी मुस्कुराहट होनी चाहिए संबल सबसे दुःखित आदमी का
प्रेम में तुम्हें होना होगा वट वृक्ष
ताकि जब ईश्वर हो हताश और दुःखी
तब तुम्हें ढूंढता हुआ आये और बैठ जाये तुम्हारे प्रेम की छांव में
राघवेन्द्र
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