Unbelievable
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अविश्वसनीय Every single time it's not possible to make u feel what u mean to me...but believe me every single day I realize what u mean to me😍,

 अविश्वसनीय Every single time it's not possible to make u feel what u mean to me...but believe me every single day I realize what u mean to me😍,

अविश्वसनीय Every single time it's not possible to make u feel what u mean to me...but believe me every single day I realize what u mean to me😍,

12 Love

अविश्वसनीय जितना झूठ तुम बोलते जाओगे , उतना ही खुद को अपनी नज़रो में गिराते भी जाओगे ©Nakul Shahani 🏅

#Unbelievable #Believe  #true #Lie #me  अविश्वसनीय जितना झूठ तुम बोलते जाओगे ,
उतना ही खुद को अपनी नज़रो में गिराते भी जाओगे

©Nakul Shahani 🏅

अविश्वसनीय मन_में_तूफान भटका हुआ ध्यान है; मन में तूफान है। तू मिले अथवा न मिले, तेरे पास मेरी जान है।। ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni

#मन_का_तूफान______विकास_साहनी #Unbelievable  अविश्वसनीय       मन_में_तूफान
भटका हुआ ध्यान है;
मन में तूफान है।
तू मिले अथवा न मिले,
तेरे पास मेरी जान है।।
        ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni

अविश्वसनीय गुजर गया वॊ वक्त, जब तेरी जरुरत थी मुझे, अब तू खुदा भी बन जाये, तो तेरा सजदा ना करू...!

 अविश्वसनीय गुजर गया वॊ वक्त,
 जब तेरी जरुरत थी मुझे,
अब तू खुदा भी बन जाये, 
 तो तेरा सजदा ना करू...!

अविश्वसनीय गुजर गया वॊ वक्त, जब तेरी जरुरत थी मुझे, अब तू खुदा भी बन जाये, तो तेरा सजदा ना करू...!

7 Love

अविश्वसनीय रस्सी की घुटन से जकङा है चिंतामुक्त शव, तमाशा तो नहीं, घर जल कर तबाह हो गया, और बताओ कोई प्यासा तो नहीं। ______________________________ ~किशन गुप्ता

#Unbelievable  अविश्वसनीय रस्सी की घुटन से जकङा है चिंतामुक्त शव, तमाशा तो नहीं, 
घर जल कर तबाह हो गया, और बताओ कोई प्यासा तो नहीं। 
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                                                                                               ~किशन गुप्ता

अविश्वसनीय रोज - रोज आके आपका वो छत पर दाना डा़लना याद है । वो सावन की झड़ीयां , वो आपकी परी का झूला झूलना याद है । परिदें हैं हम गगन के ,आज एक बूंद के प्यासे हैं । तपतपाती गर्मी के इन लू के झपेटों में आज मौत के मारे हैं । पानी का सकोरा रख दो आँगन में आपके । बाबू जी दुवा दे परिदें गगन को उड़ जाएंगें । ©Indra jeet

#Unbelievable  अविश्वसनीय रोज - रोज आके आपका वो छत पर दाना डा़लना याद है ।
वो सावन की झड़ीयां , वो आपकी परी का झूला झूलना याद है ।
परिदें हैं हम गगन के ,आज एक बूंद के प्यासे हैं ।
तपतपाती गर्मी के  इन लू के झपेटों में आज मौत के मारे हैं ।
पानी का सकोरा रख दो आँगन में आपके ।
बाबू जी दुवा दे परिदें गगन को उड़ जाएंगें ।

©Indra jeet
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