बंधनवार थें मैं बनी बंदिनी , थाँ ही मोर भये रखवार
  • Latest
  • Popular
  • Video

बंधनवार थें मैं बनी बंदिनी , थाँ ही मोर भये रखवार । आप छवि नयन बसी ऐसो , दूजा रूप न और लखाय ।। पूनम रात धरा पांव पखारत् , विधिवत् चन्द्र शिरोमणि नभ छाएं । हरस चहक उठी चकोरी , रमण रमणीय दरस पाएं ।। यां मिलन पियूष सरीखा , वर्णित कुछू न कह जाएं। इहं सो देखूं सूरत लावणी , षड्विशा सुपण सुनाएं ।। रूप रसीला नयन चटकीला , रसीला मन्द मन्द मुस्काय । इक टक लाखूं छबि अनुपम , मन बीच कोटिक देव मनाय ।। निरखत् रूप जां चन्द्र लजाय , वां सुवर्ण श्याम मिलन मोय आएं । नैना नीर बहत मम जस जस , तरत दरस सों जनम सुफलाय ।। © vrindaa

 बंधनवार थें मैं बनी बंदिनी , थाँ ही मोर भये रखवार । 
आप छवि नयन बसी ऐसो , दूजा रूप न  और  लखाय ।।

पूनम रात धरा पांव पखारत्  , विधिवत् चन्द्र शिरोमणि नभ छाएं  ।
हरस चहक उठी चकोरी , रमण रमणीय दरस पाएं ।।

 यां मिलन पियूष सरीखा , वर्णित कुछू न कह जाएं। 
इहं सो देखूं  सूरत लावणी , षड्विशा सुपण सुनाएं ।। 

  रूप रसीला नयन चटकीला , रसीला मन्द मन्द मुस्काय ।  
इक टक लाखूं छबि अनुपम ,  मन बीच कोटिक देव मनाय ।।  

निरखत् रूप जां चन्द्र लजाय , वां सुवर्ण श्याम मिलन मोय आएं  ।
 नैना नीर बहत मम जस जस ,   तरत  दरस सों जनम सुफलाय ।।

© vrindaa

बंधनवार थें मैं बनी बंदिनी , थाँ ही मोर भये रखवार । आप छवि नयन बसी ऐसो , दूजा रूप न और लखाय ।। पूनम रात धरा पांव पखारत् , विधिवत् चन्द्र शिरोमणि नभ छाएं । हरस चहक उठी चकोरी , रमण रमणीय दरस पाएं ।। यां मिलन पियूष सरीखा , वर्णित कुछू न कह जाएं। इहं सो देखूं सूरत लावणी , षड्विशा सुपण सुनाएं ।। रूप रसीला नयन चटकीला , रसीला मन्द मन्द मुस्काय । इक टक लाखूं छबि अनुपम , मन बीच कोटिक देव मनाय ।। निरखत् रूप जां चन्द्र लजाय , वां सुवर्ण श्याम मिलन मोय आएं । नैना नीर बहत मम जस जस , तरत दरस सों जनम सुफलाय ।। © vrindaa

7 Love

Trending Topic