जिस शख्स के लिए
आप पुरी दुनियाँ से, समाज, रिश्तों से
यहाँ तक की
अपने परिवार से भी लड़ जाओ
अगर वो ही शख्स
आपकी भावनाओं को, जज़्बातों को
आपके एहसाओं को
ना समझे और ना समझने की
कोशिश करे
तो इस पस्थिति में आप ज़िंदा तो
रहोगे ही
और सबके बीच में भी रहोगे
लेकिन असल में
आप अंदर से खुद को मरे हुए पाओगे
सबके बीच में रहते हुए भी
आप खुद को सबसे एकान्त पाओगे।
~ अंकित श्रीवास्तव
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©Ankit Srivastava
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