मैं ना समझी थी,

कि कलम को भी,
कल का लम्हा लिखना प
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मैं ना समझी थी, कि कलम को भी, कल का लम्हा लिखना पड़ेगा, खर्चा चलाने जीवन का, किताबों को बाजार में बिकना पड़ेगा, गुल्लक को भरने के लिए, शब्द-शब्द भी रचना पड़ेगा, करने किसी की उम्मीदों को पूरा, शब्दों को भी अलग दिखना पड़ेगा, पद-प्रतिष्ठा पाने के खातिर, शब्दों को भी संवरना पड़ेगा, रोचक बनाने को जीवन अपना, लिख कर भी जीवन खर्चना पड़ेगा। ©Aarti Choudhary

#कविता #profoundwriters #kalamkaarmypen #long_live_pw #pwardor  मैं ना समझी थी,

कि कलम को भी,
कल का लम्हा लिखना पड़ेगा,

खर्चा चलाने जीवन का,
किताबों को बाजार में बिकना पड़ेगा,

गुल्लक को भरने के लिए,
शब्द-शब्द भी रचना पड़ेगा,

करने किसी की उम्मीदों को पूरा,
शब्दों को भी अलग दिखना पड़ेगा,

पद-प्रतिष्ठा पाने के खातिर,
शब्दों को भी संवरना पड़ेगा,

रोचक बनाने को जीवन अपना,
लिख कर भी जीवन खर्चना पड़ेगा।

©Aarti Choudhary
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