अपने किसी ख़ास रिश्ते के नाम ये ख़त लिखें #Khat के
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कागज पे लिखे लब्जो का अलग हीं दौर था! इंतजार तो था पर सुकून बहोत था ! मोबाईल के इस दौर में वो खत वाली बात कहा! पास तो हें पर लब्जो वाले जज्बात कहा! #गौरव

#मराठीकविता #गौरव #Khat  कागज पे लिखे लब्जो का अलग हीं दौर था!
             इंतजार तो था पर सुकून बहोत था !
मोबाईल के इस दौर में वो खत वाली बात कहा!
          पास तो हें पर लब्जो वाले जज्बात कहा!


#गौरव

#Khat

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#शायरी  ए मेरे खोये रिश्ते 
बहूत याद आता हैं तू
पलके भीग जाती हैं 
जब याद आता है तू
उस दिन याद 
जब तूम मूझ से आ मिले थे 
कितना लड़े थे हम 
एक दूसरे की जान पर आ बनी थी 
पर, पिछे ना तूम थे , ना मै 
फिर जाने तूम खामोश 
क्यों हो गये 
देख कर तुम्हारी खामोशी 
मेरी भी चुप्पी थी 
उस वक़्त से जिन्दगी ही 
बदल गई मेरी 
और वो  एक पल से 
आज तक अलग न हूआ मूझ से 
तुम्हारी याद मे 
(चाँदनी)

ए मेरे खोये रिश्ते बहूत याद आता हैं तू पलके भीग जाती हैं जब याद आता है तू उस दिन याद जब तूम मूझ से आ मिले थे कितना लड़े थे हम एक दूसरे की जान पर आ बनी थी पर, पिछे ना तूम थे , ना मै फिर जाने तूम खामोश क्यों हो गये देख कर तुम्हारी खामोशी मेरी भी चुप्पी थी उस वक़्त से जिन्दगी ही बदल गई मेरी और वो एक पल से आज तक अलग न हूआ मूझ से तुम्हारी याद मे (चाँदनी)

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वर्षो बाद कोई पैगाम आया है उसके नाम का खत मेरे नाम आया है ये लरखराते हुए शब्द मानो सिसकियां हो उसकी आज फिर राधे को याद ये श्याम आया है (A little writer AK) ©Abhinav kr singh

#शायरी #Khat  वर्षो बाद कोई पैगाम आया है
उसके नाम का खत मेरे नाम आया है

ये लरखराते हुए शब्द मानो सिसकियां हो उसकी
आज फिर राधे को याद ये श्याम आया है


(A little writer AK)

©Abhinav kr singh

#Khat

22 Love

এবারে ছেড়ে যেও.. বহু বহু কথায় পরস্পর পরস্পরকে বিঁধে.. মিটিয়েছি দুজনায় নিজ নিজ খিদে, এবারে ছেড়ে যেও। তোমার কিছুই ছিল না কোনোদিন হারাবার.. সদা ব্যস্ত তুমি ঘরে বাইরে সঙ্গীসনে হাজার, যা হারিয়ে গেল তা গেল শুধুমাত্র আমার.. এবারে ছেড়ে যেও। আকাশ দীপ্ত হয় দিগদিগন্ত জুড়ে সূর্যের প্রকাশে.. কখনো রামধনু রঙে খিলখিলিয়ে সে হাসে, আবার ভরা শ্রাবণে একুল ওকুল দুকূল নিয়ে ভাসে, আজ বুঝি, প্রকৃতির চরিত্র কেন অকারণে তোমার মাঝেও আসে.. এবারে ছেড়ে যেও। ওই অঙ্গীকার তোমার, ছিল ছেলে ভোলানো কথা কারো একাকীত্ব বুঝে নিজ ফুরসতে শোনানো গল্পগাঁথা.. এবারে ছেড়ে যেও। কোনোদিনই পূরণ হবার নয় আমার এমন চাওয়া, দূরে থেকে, দূরত্বে রেখে কথার স্রোতে মিছেই ভেসে যাওয়া.. পারিপার্শ্বিকে সবই যে হয় তোমার তাৎক্ষণিক পাওয়া, আজ ক্ষত প্রচুর, ক্ষমতা নেই আবারও নতুন ক্ষত নাওয়া.. এবারে ছেড়ে যেও।। © ©"বিলম্বিত-লয়"

#Khat  এবারে ছেড়ে যেও.. 

বহু বহু কথায় পরস্পর পরস্পরকে বিঁধে.. 
মিটিয়েছি দুজনায় নিজ নিজ খিদে, 
এবারে ছেড়ে যেও। 

তোমার কিছুই ছিল না কোনোদিন হারাবার.. 
সদা ব্যস্ত তুমি ঘরে বাইরে সঙ্গীসনে হাজার, 
যা হারিয়ে গেল তা গেল শুধুমাত্র আমার.. 
এবারে ছেড়ে যেও। 

আকাশ দীপ্ত হয় দিগদিগন্ত জুড়ে সূর্যের প্রকাশে.. 
কখনো রামধনু রঙে খিলখিলিয়ে সে হাসে, 
আবার ভরা শ্রাবণে একুল ওকুল দুকূল নিয়ে ভাসে, 
আজ বুঝি, প্রকৃতির চরিত্র কেন অকারণে তোমার মাঝেও আসে.. 
এবারে ছেড়ে যেও।

ওই অঙ্গীকার তোমার, ছিল ছেলে ভোলানো কথা
কারো একাকীত্ব বুঝে নিজ ফুরসতে শোনানো গল্পগাঁথা.. 
এবারে ছেড়ে যেও।

কোনোদিনই পূরণ হবার নয় আমার এমন চাওয়া,
দূরে থেকে, দূরত্বে রেখে কথার স্রোতে মিছেই ভেসে যাওয়া..
পারিপার্শ্বিকে সবই যে হয় তোমার তাৎক্ষণিক পাওয়া,
আজ ক্ষত প্রচুর, ক্ষমতা নেই আবারও নতুন ক্ষত নাওয়া..
এবারে ছেড়ে যেও।।
©

©"বিলম্বিত-লয়"

#Khat

7 Love

#ज़िन्दगी #किस्सा  प्रिय जिंदगी,
माना कि तूने मुझे सताया बहुत है
बचपन से अब तक रुलाया बहुत है
बचपन छीना , बचपना छीना
मासुमियत का भी तो 
अहसास होने दिया कभी ना
लुटेरों की बस्ती मिली रही मैं जहां भी
न‌ मेरी कोई हस्ती रही खिली भी मैं कहां थी
न अपने समझ पाए थे... गैरों के भी सताए थे
न जिंदगी समझ आई न मौत पास आई
कुछ न किया फिर भी झेल‌ रही थी
जमाने भर की रुसवाई
जिनके पैर साथ नहीं देते उनका कोई नहीं होता
ये बात मुझे अब समझ‌ में है आई

©Kavita Vijaywargiya
#शुन्य #Khat  जिनको मिल गयी मंजिल, 
वो क्या जाने मोहब्बत 
दर्द ए इश्क उनसे पूछियेगा, 
जो खत पुराने रोज पढ़ते है

©अभय (पथिक)

#Khat कृष्णा वाघमारे ,, Kumbhar Pimpalgaon, Jalna, 431211,maharastra @Eswari 2012 Kavya @Mishra Miracle @bhumika rani NIKHAT الفاظ جو دل چو جائے @Preeti Devi #शुन्य Rana Ƈђɇҭnᴀ Ðuвєɏ @Satish डॉ.राठौड़ `बबलू` @Bh@Wn@ Sh@Rm@ @gudiya @Sethi Ji @poonam2_2 insta id poonam2_2 R K Mishra " सूर्य " @shital sharma @Madhusudan Shrivastava Rajat Bhardwaj Dayal "दीप, Goswami..

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