मंज़िल है नज़र मे और शिकस्त-पाई है, अच्छी किस्मत है अपनी अच्छी ख़ुदाई है... हमने ये कब कहा के हम हैं मसीहा-नफ्स, आदमी हैं हम और सद हममें बुराई है... तन्हा जीत.
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