ना कोई ख्वाहिश है न कोई उम्मीद बाकी है, ना कोई हबीब है न कोई साकी है चल रकीब के ही हो जाते हैं हार कर सब कुछ लोग कहते हैं , कोई हमसफर तो चाहिए ही,काटने के लिए ज.
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