तुम बहुत अच्छे होगे
मन के सच्चे होगे
छल और कपट तुम्हें भी कहां भाता होगा
जो मुझे दुख देता है वो मंज़र तुम्हें भी सताता होगा
हां मगर करते होगे गलतियां समझने की सबको सही तुम भी
मुझे पता है भरोसे के थोड़े कच्चे होगे
मन के सच्चे होगे
मुझे यकीन है मेरी कल्पना पर
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