प्राथमिकताओं के आभाव में, सीमित कर ख़ुद को समझती वो बोझ थी | उसके नेत्रों को हर स्थान पर, जिसकी खोज थी | सम्मुख था वो उसके, अनभिज्ञ वो देखती हर रोज थी |.
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