जन-जन की खातिर छोड़ महल प्रभु हुए वनवासी.. पर आज के नेता महलों में, रास्तों पर छोड़े अपने जनवासी । सोच यही शायद अब जाग गए अयोध्यावासी।। अपनों की खातिर जिसने.
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