White रचना दिनांक,,,,12,,,7,,,2024,,
वार शुक्रवार
समय सुबह। दस बजे
्््ऋनिज विचार ््
््््शीर्षक ्््
चंद चंद लफ्जों से चंद लफ्ज से ,,
आया गया सब कुछ लफ्जो का संसार है।।
भाव रस विभोर भावार्थ सहित अन्य अनेक अनेकानेक ,
, रीतियां रिवाज रस्म अदायगी में बीता जीवन सार है
अध्यात्मिक विचार ज्ञान रस दर्शन में,,
प्रेम प्यार रस माधुर्य प्रेम शब्द संवाद है।
। शीर्षक्रम में एक ही स्वर में प्रेम प्यार अधरप्यास से,,
मनपराग कण में महक रही है प्रेम की फुलवारी है।।
चंद लफ्ज चंद लम्हे लम्हे जो अक्सर सवाल है ,,
जिसका अर्थ प्रधान क़िया कर्म और भाग्य से मिलता जुलता प्राणी में
एक स्वर नाद में ध्वनि संचार नभमण्डल में एक शब्द शोध विज्ञान है।।
चंद लफ्ज चंद लम्हों में खुशी और गम अपने अपने विचार रखे,,
सच कड़वा सच ईमान लिखूं प्रेम में अटूट आस्था निज विचार सच है।।
पृथ्वी पर जिंदगी में बोलवचन संस्कार संस्कृति में जेसे ढलते कंचन वैसे रत्न श्रंगार है ।।
सत्य से अपनी रूह में रोम रोम में प्रेम रस ईश वंदना से,,
विषय राग अनुराग भाव प्रेम में अटूट श्रद्धा मंगल है ।।
कर्म प्रधान क़िया कर्म से ही आनंद दे रहे हो,,
प्यारा सा जीवन फूलों से सजी हुई खुशबू बनकर
दिलों में जगह बनाई है।।
हर पल हर क्षण में परिवर्तित हो गया प्यारा सा
स्पर्श स्प्दन तनिक सा चंद अहसास हुआ कि तू मूझसे बेखबर
सा विद्या बालकं ज्ञानबोध वंशानुगत कर्म भूमि वर्चस्व
मां शब्द से ही आनंद आता है।।
। बेखबर हो गया है और यह सुखद अनुभव किया गया ईश्वर ने मुझे बताया है,,
और यह सुखद शिल्प कार का गढा गया संस्कार हूं ।।
मैं जिंदगी में भी सूक्ष्म सोच पर निर्भर करती नजर आ रही है,,
प्रेम शब्द की तरह मशगूल हो प्यारा सा जीवन है ।।
एक ईश्वर से यही मेरी कामना है मनो दसा मगन हो गई तस्वीर में ,,
एक गुप्त नवरात्रि प्रारम्भ छटा दिवस मंगलमय हो,
यही शैलेंद्र आनंद की शुभ घड़ी विलक्षण प्रयोग करें जनसेवा ही जिंदगी है।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््््
12,,,7,,,,2024,,,
©Shailendra Anand
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