यूं तो महबूब से ज़्यादा गहरा, राबता है उनके-मेरे दरमियान......... मगर जो भी हैं चाहें जैसा भी हैं, मेरे दोस्त ही हैं मेरा सारा जहान....... ©Poet Maddy यूं तो मह.
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