isro_day
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White "*न्यूटन* ने अगर *गिरे सेब* की जगह **गिरे हुए लोग** देखे होते,,,.......... तो आज *गुरुत्वाकर्षण* की जगह **मानवता** के बारे में **पढ़ाई** हो रही होती " ©Sumit Raj Chauhan

#विचार #isro_day  White "*न्यूटन* ने अगर *गिरे सेब* की जगह **गिरे हुए लोग** देखे होते,,,..........                       तो आज *गुरुत्वाकर्षण* की जगह **मानवता** के बारे में **पढ़ाई** हो रही होती "

©Sumit Raj Chauhan

#isro_day सुविचार इन हिंदी आज का विचार शुभ प्रभात विचार 'अच्छे विचार' आज शुभ विचार

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White good 😊 night sweet dreams 😘 ©Praveen mishra

#isro_day #wishes  White good 😊 night 
sweet dreams 😘

©Praveen mishra

#isro_day

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#isro_day #SAD  White हम अब  मंगल और चांद पर बसने जा रहे हैं,
धरती को दूषित किया अब इन दोनो की बारी है।

©Pyare ji

#isro_day @Sircastic Saurabh @Dr. Parwarish @sherni शिवम् सिंह भूमि नीर

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#isro_day #wishes  White Sweet dreams all.hv a peaceful 😴  

©Ruhi Shaikh

#isro_day

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#isro_day #wishes  White যুদ্ধ নয় শান্তি চাই।

লেট মিস্টার প্রেসিডেন্ট অফ আমেরিকা 
মিস্টার জন কেনেডি,
লেট মিস্টার প্রেসিডেন্ট অফ রাশিয়া 
মিস্টার কোসিগিন,
একদিন আপনারাই বলেছিলেন এই পৃথিবীতে 
আর যুদ্ধ নয় চাই শান্তি,
আর এর জন্যই বন্ধুত্বই ভীষণ দামি।

কিন্তু কি হল ভুলে গেল আপনাদের সব বর্তমান 
চোখের সামনে শেষ করে,করলো ইউক্রেন শ্মশান,
কি হলো আগামী দিনের শিশুদের শেখানো সেই বাণী,
যুদ্ধ নয় দেশে দেশে,চল বন্ধুত্বের বন্ধনে বেঁধে আনি,
 অথচ এখনও যুদ্ধ চারিদিকে ধ্বংসের ক্রন্দন 
আফগান থেকে ইউক্রেন ভেঙেছ যত মানববন।
চারিদিকে কত আলোচনার টেবিল সব কেন ফাঁকা?
বদলে শুধু রক্তচক্ষু দুজনাই বলে আমার দিকে তাকা।

ছবিতে দেখছো একটি ছোট্ট শিশুর হাতে খেলার বল
 অথচ ওর কেউ বেঁচে নেই,যে বলবে খেলার মাঠে চল,
 বাবা নেই মা নেই পরিবার!
নেই বন্ধুবান্ধব সর্বত্র শ্মশানের একাকার।
একটা সভ্যতা গড়তে লাগে কয়েক যুগ 
ধ্বংস ? ক্ষেপনাস্ত্রের ঘায়ে নিমিষে জঙ্গির সুখ,
তাই করোজোড়ে বলি ওগো দুই মহাবীর তোমাদের 
বন্ধ করো যুদ্ধ, আর ক্ষতি করোনা যত ভূমিহীনদের।

©Swapan Dewanji

#isro_day যুদ্ধ নয় শান্তি চাই।

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#isro_day  White दो-चार बार हम जो कभी हँस-हँसा लिए 
सारे जहाँ ने हाथ में पत्थर उठा लिए 

रहते हमारे पास तो ये टूटते ज़रूर 
अच्छा किया जो आपने सपने चुरा लिए 

चाहा था एक फूल ने तड़पें उसी के पास 
हम ने ख़ुशी से पेड़ों में काँटे बिछा लिए 

आँखों में आए अश्क ने आँखों से ये कहा 
अब रोको या गिराओ हमें, हम तो आ लिए 

सुख जैसे बादलों में नहाती हों बिजलियाँ 
दुख जैसे बिजलियों में ये बादल नहा लिए 

जब हो सकी न बात तो हम ने यही किया 
अपनी ग़ज़ल के शेर कहीं गुनगुना लिए 

अब भी किसी दराज़ में मिल जाएँगे तुम्हें 
वो ख़त जो तुम को दे न सके लिख-लिखा लिए 

             कुंवर बेचैन

©Sudhir Sky

#isro_day

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