नाम लेकर के क़िस्मत संवारू मैं अब। अपने नयनों से तुमको निहारू मैं अब। रटते रटते तुम्हें थक गए है अधर, कृष्णा कृष्णा ही हर पल पुकारू मैं अब। ©आयुषी गुप्ता ©.
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