उसे तब तक निहारता रहा 
तब तक निहारता रहा 
ज़ब तक कि
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#कविता  उसे तब तक निहारता रहा 
तब तक निहारता रहा 
ज़ब तक कि वो नजरो से ओझल न हो गयी 
आखिर उसमे ऐसा क्या था 
ये सब कुछ मेरी आदतों मे शुमार था 
वापसी के वक्त भी एक चाहत 
होती थी कि उसे इंतज़ार हो 
होता.. कभी नहीं होता 
ज़ब भी सोचता तो लगता 
क्या यही प्यार हैं 
जवाब मिलता हा यही हैं

©ranjit Kumar rathour

यही प्यार हैं

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