गर्व से बोलो हम हिंदी वाले हैं।

मन के कुछ अटपट भा
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गर्व से बोलो हम हिंदी वाले हैं। मन के कुछ अटपट भाव लिखूं,कुछ चंचल चपला दांव लिखूं। कुछ खट्टे मीठे अनुभव हो, उसमें कुछ अपने चाव लिखूं। हिंदी में ही बचपन बीता,जब युवा हुए कुछ प्रेम लिखा। जीवन पथ सुगम बनाने को,हिंदी इंग्लिश का ज्ञान लिखा। पर मन के पावन भाव तरल , निर्झर बस हिंदी में बहते। हिन्दी जन गण की भाषा है,जो हर मन भावों को कहते। वीणा खंडेलवाल तुमसर (महाराष्ट्र) ©veena khandelwal

#कविता  गर्व से बोलो हम हिंदी वाले हैं।

मन के कुछ अटपट भाव लिखूं,कुछ चंचल चपला दांव लिखूं।
कुछ खट्टे मीठे अनुभव हो, उसमें कुछ अपने चाव लिखूं।
हिंदी में ही बचपन बीता,जब युवा हुए कुछ प्रेम लिखा।
जीवन पथ सुगम बनाने को,हिंदी इंग्लिश का ज्ञान लिखा।
पर मन के पावन भाव तरल , निर्झर बस हिंदी में बहते।
हिन्दी जन गण की भाषा है,जो हर मन भावों को कहते।

वीणा खंडेलवाल

 तुमसर (महाराष्ट्र)

©veena khandelwal

गर्व से बोलो हम हिंदी वाले हैं। मन के कुछ अटपट भाव लिखूं,कुछ चंचल चपला दांव लिखूं। कुछ खट्टे मीठे अनुभव हो, उसमें कुछ अपने चाव लिखूं। हिंदी में ही बचपन बीता,जब युवा हुए कुछ प्रेम लिखा। जीवन पथ सुगम बनाने को,हिंदी इंग्लिश का ज्ञान लिखा। पर मन के पावन भाव तरल , निर्झर बस हिंदी में बहते। हिन्दी जन गण की भाषा है,जो हर मन भावों को कहते। वीणा खंडेलवाल तुमसर (महाराष्ट्र) ©veena khandelwal

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