जब मन में उमड़ रही विचारों की लहरों से ऊब जाता हूं या कहुँ सांसारिक थकन ज़ेहन में रम जाती है ,तब मैं किताब उठा लेता हूं । किताब उठाकर खुद को हल्का महसूस करता हूं.
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