चलो आसमा पर एक नया घर बनाते है,
कभी चाँद बनाते है कहीं सूरज बनाते है,
रात और दिन के मायने अपने अपने है,
कभी ख्वाब बनाते है कहीं ख्वाब सजाते है,
देखो तो बाग़ के सभी फूल खिल से गए,
कभी प्यार बनाते है कहीं नफरत बनाते है,
चलो अब उनसे भी रिश्ता अपना तोड़ लेते है,
कभी सजग बनाते है कहीं रहस बनाते है,
यूँ ही नहीं सारी बंदिशे तोड़ दी "राज",
कभी गम बनाते है कहीं खुसी बनाते है।।
~~अशोकराज!!!🖊
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