आभा तू चक्र है आदि का, तू चक्र है अनंत का , मोह तू ,कर्म तू, रूहानियत का धर्म तू , वो परिश्रम का जो सेज था, रगो मे जो वेग था , चक्र मे छुपी ज्योति थी , वो.
1 Stories
Will restore all stories present before deactivation.
It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here