हर ग़म की गमख़्वार तुम्हारी पेशानी,, उठाए बिंदिया का भार तुम्हारी पेशानी।। फ़लक़ पर ढ़ेरो चाँद सितारे सूरज हैं,, और ज़मीं का आफताब तुम्हारी पेशानी।। देते हैं लोग ब.
1 Stories
Will restore all stories present before deactivation.
It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here