हर ग़म की गमख़्वार तुम्हारी पेशानी,,
उठाए बिंदिया का
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हर ग़म की गमख़्वार तुम्हारी पेशानी,, उठाए बिंदिया का भार तुम्हारी पेशानी।। फ़लक़ पर ढ़ेरो चाँद सितारे सूरज हैं,, और ज़मीं का आफताब तुम्हारी पेशानी।। देते हैं लोग बोसे महबूब-ए-रुख़सार,, मैं चुम लूँ सौ सौ बार तुम्हारी पेशानी।। हुस्न के यहाँ पर लगते हैं मेले नूरानी,, हैं सब की सरताज तुम्हारी पेशानी।। क्यों करते हो बेकार जिस्म की सजावटें,, जब है जलवो से पुरनूर तुम्हारी पेशानी।। #Nashad💔👉👀

#पेशानी #Nashad💔👉👀 #शायरी  हर ग़म की गमख़्वार तुम्हारी पेशानी,,
उठाए बिंदिया का भार तुम्हारी पेशानी।।

फ़लक़ पर ढ़ेरो चाँद सितारे सूरज हैं,,
और ज़मीं का आफताब तुम्हारी पेशानी।।

देते हैं लोग बोसे महबूब-ए-रुख़सार,,
मैं चुम लूँ सौ सौ बार तुम्हारी पेशानी।।

हुस्न के यहाँ पर लगते हैं मेले नूरानी,,
हैं सब की सरताज तुम्हारी पेशानी।।

क्यों करते हो बेकार जिस्म की सजावटें,,
जब है जलवो से पुरनूर तुम्हारी पेशानी।।
#Nashad💔👉👀
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