Family एक अनकहा सा रिश्ता है,
कुछ अनजाने होकर भी, अपनो से ।
कहने सुनने से परे, निभाते
उलझे सुलझे धागे है ।
न जाने वो कौन है बस
कुछ अल्हड़ से मतवाले है ।
पास न होकर साथ निभाते
सब अपने मे ही निराले है ।
दिल से माना,सबको अपना
यहाँ,अपना हर कोई लागे है ।
इस छोटी सी अपनी दुनिया मे,
देखो कितने, खुशियों के तारे है।
कोई तन्हा होकर आता है तो
सब कितना लाड़ दिखाते है ।
अपनापन कहते है किसको
ये बिन कुछ कहे, जताते है ।।
एक अनकहा से रिश्ता देखो
यहाँ हम सब रोज़ निभाते है । ❤️
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