White #दर्पण समझा सदा कमज़ोर ख़ुद को ,अपनी का | हिंदी मोटिवेशनल

"White #दर्पण समझा सदा कमज़ोर ख़ुद को ,अपनी काबलियत को कब जाना, जकड़ी रही ज़माने की बेड़ियों में ,मेरा वजूद भी रहा मुझसे अंजाना, एक कठपुतली के जैसे मै, जिंदगी भर नाचती रही, रो रोकर अपना गुमनाम सा , भाग्य बांचती रही, खो गए थे ख़्वाब भी, मेरे वक़्त की बयार में, चल रही थी जिंदगी मेरी, अपने पूरे रफ्तार में, बिलखे थे अरमान मेरे,मेरी अपनी नाकामी पर, कितने गहरे ज़ख्म लगे थे ,मेरी बेनाम जिंदगानी पर, फिर एक दिन जब 'दर्पण' में ख़ुद की, परछाई को निहारा था , पहचाना था तब ख़ुद को मैंने , मिला एक सहारा था, तोड़ कर हर बन्धन मैंने ,ज़ब ज़माने से नज़र मिलाई, मुझको मेरी शक्ति, मेरे मन दर्पण ने दिखलाई, निकल पड़ी फ़िर एक दिन ,अपनी पहचान बनाने को, कमज़ोर नही मैं साहसी हूँ , ये दुनिया को दिखलाने को ,।। पूनम आत्रेय ©poonam atrey"

 White #दर्पण  

समझा  सदा  कमज़ोर  ख़ुद  को ,अपनी काबलियत को कब जाना,
जकड़ी रही ज़माने की बेड़ियों में ,मेरा वजूद भी रहा मुझसे अंजाना,

एक कठपुतली के जैसे मै, जिंदगी भर नाचती रही,
रो रोकर  अपना  गुमनाम सा ,   भाग्य बांचती रही, 

खो    गए    थे    ख़्वाब भी, मेरे    वक़्त की बयार में,
चल    रही      थी  जिंदगी मेरी, अपने  पूरे  रफ्तार में,

बिलखे        थे    अरमान मेरे,मेरी  अपनी नाकामी पर,
कितने   गहरे ज़ख्म लगे थे ,मेरी बेनाम जिंदगानी पर,

फिर    एक    दिन जब 'दर्पण' में ख़ुद की, परछाई को निहारा था ,
पहचाना      था     तब ख़ुद को मैंने  , मिला एक सहारा था,

तोड़ कर हर बन्धन मैंने ,ज़ब ज़माने से नज़र मिलाई,
मुझको   मेरी शक्ति, मेरे मन  दर्पण ने दिखलाई,

निकल पड़ी फ़िर एक दिन ,अपनी पहचान बनाने को,
कमज़ोर    नही मैं साहसी हूँ , ये दुनिया को दिखलाने को ,।।
                             
पूनम आत्रेय

©poonam atrey

White #दर्पण समझा सदा कमज़ोर ख़ुद को ,अपनी काबलियत को कब जाना, जकड़ी रही ज़माने की बेड़ियों में ,मेरा वजूद भी रहा मुझसे अंजाना, एक कठपुतली के जैसे मै, जिंदगी भर नाचती रही, रो रोकर अपना गुमनाम सा , भाग्य बांचती रही, खो गए थे ख़्वाब भी, मेरे वक़्त की बयार में, चल रही थी जिंदगी मेरी, अपने पूरे रफ्तार में, बिलखे थे अरमान मेरे,मेरी अपनी नाकामी पर, कितने गहरे ज़ख्म लगे थे ,मेरी बेनाम जिंदगानी पर, फिर एक दिन जब 'दर्पण' में ख़ुद की, परछाई को निहारा था , पहचाना था तब ख़ुद को मैंने , मिला एक सहारा था, तोड़ कर हर बन्धन मैंने ,ज़ब ज़माने से नज़र मिलाई, मुझको मेरी शक्ति, मेरे मन दर्पण ने दिखलाई, निकल पड़ी फ़िर एक दिन ,अपनी पहचान बनाने को, कमज़ोर नही मैं साहसी हूँ , ये दुनिया को दिखलाने को ,।। पूनम आत्रेय ©poonam atrey

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#नोजोटोहिन्दी @Sunita Pathania @Sethi Ji @Ravi Ranjan Kumar Kausik @@_hardik Mahajan अदनासा- सायरी मोटिवेशन

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