रश्मि बरनवाल

रश्मि बरनवाल "कृति" Lives in New Delhi, Delhi, India

हिन्दी कविताएं लिखती हूँ, Nojoto ने सुनाने का मौका भी दे दिया... www.instagram.com/kriti_ki_kavita

https://www.yourquote.in/rshmi-brnvaal-krti-k3gn/quotes

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मायके से लौटते वक्त बैठक में टँगी तस्वीर में छूट गए पापा... देहरी पर छूट गई माँ... कार तक आईं भाभी... स्टेशन तक छोड़ने आये भैया और शहर तक भतीजा... छूटने और छोड़ने की इन रीतियों के बीच मैं समेटकर ले आई पापा का आशीर्वाद... माँ की ममता... भाभी का अपनत्व... भैया का स्नेह... और भतीजे से मिला सम्मान... और दे आई दुआएं कि बस इसी तरह भरा पूरा रहे मेरा मायका। बना रहे यूँ ही हम सबका स्नेह बंधन।। ©रश्मि बरनवाल "कृति"

#कविता #summervacation #hindi_poetry #Memories #LongRoad  मायके से लौटते वक्त
बैठक में टँगी तस्वीर में
छूट गए पापा...
देहरी पर छूट गई माँ...
कार तक आईं भाभी...
स्टेशन तक छोड़ने आये भैया
और शहर तक भतीजा...
छूटने और छोड़ने की इन रीतियों के बीच
मैं समेटकर ले आई
पापा का आशीर्वाद...
माँ की ममता...
भाभी का अपनत्व...
भैया का स्नेह...
और भतीजे से मिला सम्मान...
और दे आई दुआएं कि
बस इसी तरह भरा पूरा रहे मेरा मायका।
बना रहे यूँ ही हम सबका स्नेह बंधन।।

©रश्मि बरनवाल "कृति"

दर्द हुआ तो रो लेती हूँ...ये कहते हैं सब्र करो। खुश हूँ अगर मैं हँस लेती हूँ... ये कहते हैं सब्र करो।। छल-प्रपंच हो चिढ़ जाती हूँ... ये कहते हैं सब्र करो। स्नेह मिले तो खिल जाती हूँ...ये कहते हैं सब्र करो।। पारदर्शी चरित्र है मेरा, सभी भाव दिख जाते हैं। घर के छोटे बच्चे अक्सर ऐसे ही रह जाते हैं।। धैर्यवान व्यक्तित्व है इनका, विचलित नहीं ये होते हैं। परिस्थिति हो चाहे जैसी, सब्र नहीं ये खोते हैं।। ©रश्मि बरनवाल "कृति"

#लव  दर्द हुआ तो रो लेती हूँ...ये कहते हैं सब्र करो।
खुश हूँ अगर मैं हँस लेती हूँ... ये कहते हैं सब्र करो।।

छल-प्रपंच हो चिढ़ जाती हूँ... ये कहते हैं सब्र करो।
स्नेह मिले तो खिल जाती हूँ...ये कहते हैं सब्र करो।।

पारदर्शी चरित्र है मेरा, सभी भाव दिख जाते हैं।
घर के छोटे बच्चे अक्सर ऐसे ही रह जाते हैं।।

धैर्यवान व्यक्तित्व है इनका, विचलित नहीं ये होते हैं।
परिस्थिति हो चाहे जैसी, सब्र नहीं ये खोते हैं।।

©रश्मि बरनवाल "कृति"

दर्द हुआ तो रो लेती हूँ...ये कहते हैं सब्र करो। खुश हूँ अगर मैं हँस लेती हूँ... ये कहते हैं सब्र करो।। छल-प्रपंच हो चिढ़ जाती हूँ... ये कहते हैं सब्र करो। स्नेह मिले तो खिल जाती हूँ...ये कहते हैं सब्र करो।। पारदर्शी चरित्र है मेरा, सभी भाव दिख जाते हैं। घर के छोटे बच्चे अक्सर ऐसे ही रह जाते हैं।। धैर्यवान व्यक्तित्व है इनका, विचलित नहीं ये होते हैं। परिस्थिति हो चाहे जैसी, सब्र नहीं ये खोते हैं।। ©रश्मि बरनवाल "कृति"

14 Love

एकदम राममय सी हो गई है वसुधा! घर हों या मन्दिर, बाजार हों या गलियाँ, सभी मानों बस रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिये प्रतीक्षारत हैं। दीवाली के पहले से ही शुरू हुए स्वास्ति मेहुल के मनमोहक गीत "राम आएंगे" अभी भी हर जगह बजाए जा रहे हैं। लोग मिट्टी के दीये खरीद रहे हैं। जाति-धर्म से परे, भौगोलिक सीमाओं से परे मानों पूरी धरती माता रामलला के स्वागत की तैयारियाँ कर रही है। हम और आप सभी भाग्यशाली हैं कि 22 जनवरी 2024 के यह शुभ दिन हमारे जीवन काल में आया है। आइये हम सभी इस दिन को उत्सव की तरह मनाएं और राम के आदर्शों को जीवन का मूलमंत्र बनाएं। अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की अग्रिम शुभकामनाएं🙏 ©रश्मि बरनवाल "कृति"

#विचार #NojotoRamleela #hindi_poetry #Ayodhya #Hindi  एकदम राममय सी हो गई है वसुधा! घर हों या मन्दिर, बाजार हों या गलियाँ, सभी मानों बस रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिये प्रतीक्षारत हैं। दीवाली के पहले से ही शुरू हुए स्वास्ति मेहुल के मनमोहक गीत "राम आएंगे" अभी भी हर जगह बजाए जा रहे हैं। लोग मिट्टी के दीये खरीद रहे हैं। जाति-धर्म से परे, भौगोलिक सीमाओं से परे मानों पूरी धरती माता रामलला के स्वागत की तैयारियाँ कर रही है। हम और आप सभी भाग्यशाली हैं कि 22 जनवरी 2024 के यह शुभ दिन हमारे जीवन काल में आया है। आइये हम सभी इस दिन को उत्सव की तरह मनाएं और राम के आदर्शों को जीवन का मूलमंत्र बनाएं।
अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की अग्रिम शुभकामनाएं🙏

©रश्मि बरनवाल "कृति"

Year end 2023 शुक्रिया...उन लोगों का जिन्होंने अपना बनकर मेरे साथ छल किया अब दरवाजे की दस्तक पर पहले आने वाले की नियत देखी जाएगी शुक्रिया...उन लोगों का जो मेरे लिए परेशान हुए उनके प्यार की वज़ह से ही मेरी ज़िंदगी में मुस्कान लौट पाई शुक्रिया...मेरी माँ का जिनकी बदौलत मुश्किल वक्त में मेरा ईश्वर पर विश्वास और भी गहरा हुआ शुक्रिया...मेरे हमसफ़र का जिन्होंने मेरा हाथ जोर से थामे रखा वरना मैं तो टूट कर बिखर ही गई होती तेरा भी शुक्रिया ऐ 2023! जाते जाते तूने ज़िन्दगी के बड़े कड़वे मग़र सच्चे सबक सिखाये ©रश्मि बरनवाल "कृति"

#कविता #YearEnd  Year end 2023 शुक्रिया...उन लोगों का जिन्होंने अपना बनकर मेरे साथ छल किया
अब दरवाजे की दस्तक पर पहले आने वाले की नियत देखी जाएगी

शुक्रिया...उन लोगों का जो मेरे लिए परेशान हुए
उनके प्यार की वज़ह से ही मेरी ज़िंदगी में मुस्कान लौट पाई

शुक्रिया...मेरी माँ का जिनकी बदौलत मुश्किल वक्त में मेरा ईश्वर पर विश्वास और भी गहरा हुआ

शुक्रिया...मेरे हमसफ़र का जिन्होंने मेरा हाथ जोर से थामे रखा वरना मैं तो टूट कर बिखर ही गई होती

तेरा भी शुक्रिया ऐ 2023! जाते जाते तूने ज़िन्दगी के बड़े कड़वे मग़र सच्चे सबक सिखाये

©रश्मि बरनवाल "कृति"

#YearEnd

12 Love

जिनसे मन की बात कही, उन सबसे धोखा खाया माँ! "छल प्रपंच से भरी है दुनिया", ये क्यों नहीं सिखाया माँ! मन में कुछ और मुँह पर कुछ, ये करना ना आया माँ! पाठ मुझे दुनियादारी का तुमने नहीं सिखाया माँ! सब अपने जैसे दिखते हैं, कैसे मैं पहचान करूँ? किस रिश्ते से मुंह मोडूँ मैं, किसका मैं सम्मान करूं? आँखे नम हैं, सिर भारी है, आकर तुम सहलाओ माँ! मैं फिर से बच्ची बन जाऊँ, पास मेरे आ जाओ माँ! ©रश्मि बरनवाल "कृति"

#कविता #2023Recap  जिनसे मन की बात कही, उन सबसे धोखा खाया माँ!
"छल प्रपंच से भरी है दुनिया", ये क्यों नहीं सिखाया माँ!

मन में कुछ और मुँह पर कुछ, ये करना ना आया माँ!
पाठ मुझे दुनियादारी का तुमने नहीं सिखाया माँ!

सब अपने जैसे दिखते हैं, कैसे मैं पहचान करूँ?
किस रिश्ते से मुंह मोडूँ मैं, किसका मैं सम्मान करूं?

आँखे नम हैं, सिर भारी है, आकर तुम सहलाओ माँ!
मैं फिर से बच्ची बन जाऊँ, पास मेरे आ जाओ माँ!

©रश्मि बरनवाल "कृति"

#2023Recap

8 Love

#कविता #2023Recap  जिनसे मन की बात कही, उन सबसे धोखा खाया माँ!
"छल प्रपंच से भरी है दुनिया", ये क्यों नहीं सिखाया माँ!

मन में कुछ और मुँह पर कुछ, ये करना ना आया माँ!
पाठ मुझे दुनियादारी का, तुमने नहीं सिखाया माँ!

सब अपने जैसे दिखते हैं...कैसे मैं पहचान करूँ?
किस रिश्ते से मुँह मोड़ूँ मैं, किसका मैं सम्मान करूं?

आँखे नम हैं...सिर भारी है...आकर तुम सहलाओ माँ!
मैं फिर से बच्ची बन जाऊँ, पास मेरे आ जाओ माँ!

©रश्मि बरनवाल "कृति"

#2023Recap

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