Shubham Bagal

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कैसे बताऊं तुम्हें के कितने खास हो तुम मेरे दिन की शुरूवात में तुम सोते हुए ख्वाब में तुम मेरी अँधेरी रात का चिराग हो तुम ढलते सूरज की तरह लाजवाब हो तुम कैसे बताऊ तुम्हें के कितनी खास हो तुम मेरी पहली मुस्कुराहट मैं तुम मन्नतो में मांगी वो मुराद हो तुम मेरी शायरी के पहले अल्फाज़ में तुम कभी ख़तम ना हो वो किताब हो तुम अब कैसे बताओ के कितनी खास हो तुम सितारों की भीड़ में मेरा चाँद हो तुम मेरी हर कहानी का प्यारा सा किरदार हो तुम दिल के कोने में बैठी एक याद हो तुम आधी अधूरी मुलाकात की फरियाद हो तुम कैसे बताओ के कितनी खास हो तुम शायरो की गजलों का आगाज हो तुम सावन की पहली बरसात का साज हो तुम हर पल हर लम्हा मेरे दिल के पास हो तुम जो दिल से नहीं जाता वो एहसास हो तुम कैसे बताओ तुम्हें कितनी खास हो तुम मेरे हर सवाल का जवाब हो तुम रब से मांगी थी मैंने वो दुआ हो तुम ढूंढू कहा अब तुम्हें इस जहां में मेरे लिए तो सारा जहाँ हो तुम कैसे बताओ तुम्हें कितनी खास हो तुम कैसे बताओ तुम्हें कितनी लाजवाब हो तुम ©Shubham Bagal

#YouNme #लव  कैसे बताऊं तुम्हें के कितने खास हो तुम
मेरे दिन की शुरूवात में तुम
सोते हुए ख्वाब में तुम
मेरी अँधेरी रात का चिराग हो तुम
ढलते सूरज की तरह लाजवाब हो तुम
कैसे बताऊ तुम्हें के कितनी खास हो तुम

मेरी पहली मुस्कुराहट मैं तुम
मन्नतो में मांगी वो मुराद हो तुम
मेरी शायरी के पहले अल्फाज़ में तुम
कभी ख़तम ना हो वो किताब हो तुम
अब कैसे बताओ के कितनी खास हो तुम

सितारों की भीड़ में मेरा चाँद हो तुम
मेरी हर कहानी का प्यारा सा किरदार हो तुम
दिल के कोने में बैठी एक याद हो तुम
आधी अधूरी मुलाकात की फरियाद हो तुम
कैसे बताओ के कितनी खास हो तुम

शायरो की गजलों का आगाज हो तुम
सावन की पहली बरसात का साज हो तुम
हर पल हर लम्हा मेरे दिल के पास हो तुम
जो दिल से नहीं जाता वो एहसास हो तुम
कैसे बताओ तुम्हें कितनी खास हो तुम

मेरे हर सवाल का जवाब हो तुम
रब से मांगी थी मैंने वो दुआ हो तुम
ढूंढू कहा अब तुम्हें इस जहां में
मेरे लिए तो सारा जहाँ हो तुम
कैसे बताओ तुम्हें कितनी खास हो तुम
कैसे बताओ तुम्हें कितनी लाजवाब हो तुम

©Shubham Bagal

#YouNme

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कैसे बताऊं तुम्हें के कितने खास हो तुम मेरे दिन की शुरूवात में तुम सोते हुए ख्वाब में तुम मेरी अँधेरी रात का चिराग हो तुम ढलते सूरज की तरह लाजवाब हो तुम कैसे बताऊ तुम्हें के कितनी खास हो तुम मेरी पहली मुस्कुराहट मैं तुम मन्नतो में मांगी वो मुराद हो तुम मेरी शायरी के पहले अल्फाज़ में तुम कभी ख़तम ना हो वो किताब हो तुम अब कैसे बताओ के कितनी खास हो तुम सितारों की भीड़ में मेरा चाँद हो तुम मेरी हर कहानी का प्यारा सा किरदार हो तुम दिल के कोने में बैठी एक याद हो तुम आधी अधूरी मुलाकात की फरियाद हो तुम कैसे बताओ के कितनी खास हो तुम शायरो की गजलों का आगाज हो तुम सावन की पहली बरसात का साज हो तुम हर पल हर लम्हा मेरे दिल के पास हो तुम जो दिल से नहीं जाता वो एहसास हो तुम कैसे बताओ तुम्हें कितनी खास हो तुम मेरे हर सवाल का जवाब हो तुम रब से मांगी थी मैंने वो दुआ हो तुम ढूंढू कहा अब तुम्हें इस जहां में मेरे लिए तो सारा जहाँ हो तुम कैसे बताओ तुम्हें कितनी खास हो तुम कैसे बताओ तुम्हें कितनी लाजवाब हो तुम ©Shubham Bagal

#Gulaab #लव  कैसे बताऊं तुम्हें के कितने खास हो तुम
मेरे दिन की शुरूवात में तुम
सोते हुए ख्वाब में तुम
मेरी अँधेरी रात का चिराग हो तुम
ढलते सूरज की तरह लाजवाब हो तुम
कैसे बताऊ तुम्हें के कितनी खास हो तुम

मेरी पहली मुस्कुराहट मैं तुम
मन्नतो में मांगी वो मुराद हो तुम
मेरी शायरी के पहले अल्फाज़ में तुम
कभी ख़तम ना हो वो किताब हो तुम
अब कैसे बताओ के कितनी खास हो तुम

सितारों की भीड़ में मेरा चाँद हो तुम
मेरी हर कहानी का प्यारा सा किरदार हो तुम
दिल के कोने में बैठी एक याद हो तुम
आधी अधूरी मुलाकात की फरियाद हो तुम
कैसे बताओ के कितनी खास हो तुम

शायरो की गजलों का आगाज हो तुम
सावन की पहली बरसात का साज हो तुम
हर पल हर लम्हा मेरे दिल के पास हो तुम
जो दिल से नहीं जाता वो एहसास हो तुम
कैसे बताओ तुम्हें कितनी खास हो तुम

मेरे हर सवाल का जवाब हो तुम
रब से मांगी थी मैंने वो दुआ हो तुम
ढूंढू कहा अब तुम्हें इस जहां में
मेरे लिए तो सारा जहाँ हो तुम
कैसे बताओ तुम्हें कितनी खास हो तुम
कैसे बताओ तुम्हें कितनी लाजवाब हो तुम

©Shubham Bagal

#Gulaab

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काय तो विठ्ठल, काय ती पंढरी काय तो जयघोष, माऊली माऊली ।। काय ते देहू, काय ती आळंदी काय ती भक्ती, अन भक्तीसागर । काय ती वारी, काय वारकरी काय ते भजन, टाळ चिपळ्यांचे । काय तो घोडा, काय ते रिंगण काय ते नाम, विठ्ठल विठ्ठल । काय ती माऊली, काय ती लेकरं काय तो गजरं, श्रीराम कृष्ण हरी । काय ती चंद्रभागा, काय तो प्रवाह काय ते मंदिर, विठू माऊलीचे । काय तो विठ्ठल, काय ती पंढरी काय तो जयघोष, माऊली माऊली ।। ©Shubham Bagal

 काय तो विठ्ठल, काय ती पंढरी
काय तो जयघोष, माऊली माऊली ।।

काय ते देहू, काय ती आळंदी 
काय ती भक्ती, अन भक्तीसागर ।
काय ती वारी, काय वारकरी 
काय ते भजन, टाळ चिपळ्यांचे ।
काय तो घोडा, काय ते रिंगण 
काय ते नाम, विठ्ठल विठ्ठल ।
काय ती माऊली, काय ती लेकरं
काय तो गजरं, श्रीराम कृष्ण हरी ।
काय ती चंद्रभागा, काय तो प्रवाह
काय ते मंदिर, विठू माऊलीचे ।

काय तो विठ्ठल, काय ती पंढरी
काय तो जयघोष, माऊली माऊली ।।

©Shubham Bagal

काय तो विठ्ठल, काय ती पंढरी काय तो जयघोष, माऊली माऊली ।। काय ते देहू, काय ती आळंदी काय ती भक्ती, अन भक्तीसागर । काय ती वारी, काय वारकरी काय ते भजन, टाळ चिपळ्यांचे । काय तो घोडा, काय ते रिंगण काय ते नाम, विठ्ठल विठ्ठल । काय ती माऊली, काय ती लेकरं काय तो गजरं, श्रीराम कृष्ण हरी । काय ती चंद्रभागा, काय तो प्रवाह काय ते मंदिर, विठू माऊलीचे । काय तो विठ्ठल, काय ती पंढरी काय तो जयघोष, माऊली माऊली ।। ©Shubham Bagal

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