माही मुन्तज़िर

माही मुन्तज़िर Lives in Delhi, Delhi, India

#अल्फ़ाज़_ए_माही✍️✍️❤️💔💕 नादां सा बचपन मेरा , बचपन सी नादां मैं।

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#raksha_bandhan_2024  White  प्यारे भैया...

इस रक्षाबंधन मुझे तुमसे एक ही वचन चाहिए 
कि तुम्हारे समक्ष जब भी कोई स्त्री आए 
किसी भी रूप में आए तो तुम उसका सम्मान करना।

कभी भी उसे कमता का एहसास ना होने देना
उसकी मान प्रतिष्ठा पर कभी कोई आंच न आने देना।

जब भी कोई स्त्री आपके समक्ष महफूज़ महसूस करेंगी 
आपकी बहन को आप पर गर्व होगा 

आपकी बहन...

©माही मुन्तज़िर

White प्यारे भैया... इस रक्षाबंधन मुझे तुमसे एक ही वचन चाहिए कि तुम्हारे समक्ष जब भी कोई स्त्री आए किसी भी रूप में आए तो तुम उसका सम्मान करना। कभी भी उसे कामता का एहसास ना होने देना उसकी मान प्रतिष्ठा पर कभी कोई आंच न आने देना। जब भी कोई स्त्री आपके समक्ष महफूज़ महसूस करेंगी आपकी बहन को आप पर गर्व होगा आपकी बहन... ©माही मुन्तज़िर

#raksha_bandhan_2024  White प्यारे भैया...

इस रक्षाबंधन मुझे तुमसे एक ही वचन चाहिए 
कि तुम्हारे समक्ष जब भी कोई स्त्री आए 
किसी भी रूप में आए तो तुम उसका सम्मान करना।

कभी भी उसे कामता का एहसास ना होने देना
उसकी मान प्रतिष्ठा पर कभी कोई आंच न आने देना।

जब भी कोई स्त्री आपके समक्ष महफूज़ महसूस करेंगी 
आपकी बहन को आप पर गर्व होगा 

आपकी बहन...

©माही मुन्तज़िर

आज़ादी दिवस दिन आज़ादी का कहा आसानी से आया था सन 57 से 47 तक बादल संग्राम का छाया था हुए कुर्बान मां भारती पर वीर ऐसे बलिदानी थे हजारों माँओ ने अपना जिगरी लाल गवाया था कैसे करूं बयां हाल ए मंजर क्या रहा होगा मानो घर-घर में नदियों सा ही लहू बहा होगा बिन राखी सुनी रही होगी कलाई भाइयों की, छूटा कुमकुम माथे से, मंगलसूत्र उतारा होगा। ©माही मुन्तज़िर

#IndependenceDay  आज़ादी दिवस

दिन आज़ादी का कहा आसानी से आया था 
सन 57 से 47 तक बादल संग्राम का छाया था 
हुए कुर्बान मां भारती पर वीर ऐसे बलिदानी थे
हजारों माँओ ने अपना जिगरी लाल गवाया था

 कैसे करूं बयां हाल ए मंजर क्या रहा होगा 
मानो घर-घर में नदियों सा ही लहू बहा होगा 
बिन राखी सुनी रही होगी कलाई भाइयों की,
छूटा कुमकुम माथे से, मंगलसूत्र उतारा होगा।

©माही मुन्तज़िर
#mothers_day #maa  White बाहों के झूले में मुझकों झुलाती है माँ
रात सारी जागकर मुझको सुलाती है माँ
याद है गले लगा कर बोसा देना माथे पर
कितनी ही बुरी नज़रों से बचाती है माँ

©माही मुन्तज़िर

#mothers_day #maa #Love

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#चाँद #Apocalypse #darbaredil  इजहार ए ख्यालात भी नहीं करता 
अब कोई सवालात भी नहीं करता 
कैसे बता दू मैं कि क्या हो गया है
ये चांद तो अब रात भी नहीं करता

©माही मुन्तज़िर

#Apocalypse #चाँद #Love #Life #Nojoto

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#sunrisesunset #darbaredil  बड़े ही इत्मिनान से देखते हैं तुम्हें 
कितनी ही शान से देखते हैं तुम्हें

जब पुकारते हैं लोग नाम तुम्हारा
हम बड़े ही मान से देखते हैं तुम्हें

©माही मुन्तज़िर

#sunrisesunset #Love #Life #Nojoto

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