Amol Baviskar

Amol Baviskar

I m poet, lyricist and actor. I love writing poems, short stories. Also a researcher & professor. Teaches engineering students.

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उरले.. काही.. जरासे... हृदयात.. खंत आहे... जे, जे.. निर्मिले तू ... त्या- त्यास अंत आहे... ही वाट जीवनाची... सहज सोपी नाही.. परि सत्य जाण पथिका.. तू आसमंत आहे.. तुझिया प्रवासाची... होईल यशोगाथा... तू ताप सोस आता... जरी वाळवंट आहे... जुनीच लेखणी ती... जुनीच धाटणी रे.... जुनीच ती कहाणी.. आजही पसंत आहे.. तू हात सोडलेला... मी हात जोडलेला... डोळ्यात पाहिले जे.. मनी जिवंत आहे... @ओम (प्रो. अमोल जगदीश बाविस्कर)

#शायरी #kavita #omsir #nazm  उरले.. काही.. जरासे... हृदयात.. खंत आहे...
जे, जे.. निर्मिले तू ...  त्या- त्यास अंत आहे... 

ही वाट जीवनाची... सहज सोपी नाही.. 
परि सत्य जाण पथिका.. तू आसमंत आहे.. 

तुझिया प्रवासाची...  होईल यशोगाथा... 
तू ताप सोस आता... जरी वाळवंट आहे... 

जुनीच लेखणी ती... जुनीच धाटणी रे....
जुनीच ती कहाणी.. आजही पसंत आहे.. 

तू हात सोडलेला... मी हात जोडलेला... 
डोळ्यात पाहिले जे.. मनी जिवंत आहे... 

@ओम (प्रो. अमोल जगदीश बाविस्कर)

ना धडकन सुनी... ना चाहत सुनी ... बस उनके लिए... राहत चुनी... एक शहर था.. लोगों भरा... वो एक ही.. इबादत चुनी... उस ओर थी.. दुनिया अलग.. इस ओर की.. गलियाँ चुनी.. ओ छूते रहे.. दौलत के दर.. इस मिट्टी की बस खुशबु चुनी... ओ काफिले~~.. कही गुम हो गए.. उस राह की... कथा अनसुनी.. कुछ बूंद थे... मोती बने.... अख़बारों मे.. अब.. ये सनसनी... @ओम (जगदिशपुत्र प्रो अमोल बाविस्कर)

#Inspiration #Reality #nazm  ना धडकन सुनी... ना चाहत सुनी ...
बस उनके लिए... राहत चुनी...

एक शहर था.. लोगों  भरा...
वो एक ही.. इबादत चुनी...

उस ओर थी.. दुनिया अलग..
इस ओर की.. गलियाँ चुनी..

ओ छूते रहे.. दौलत के दर..
इस मिट्टी की बस खुशबु चुनी...

ओ काफिले~~.. कही गुम हो गए..
उस राह की... कथा अनसुनी..

कुछ बूंद थे... मोती बने....
अख़बारों मे.. अब.. ये सनसनी...
@ओम (जगदिशपुत्र प्रो अमोल बाविस्कर)

# poetry #Inspiration #nazm#Reality

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मौत भी आनी.. होगी.. तो उसे इजाजत लेके आना होगा... हमे चाहने वालो से भी जादा... खुदा को हमे चाहना होगा... © ओम (जगदिशपुत्र प्रो. अमोल बाविस्कर)

#Significance #Inspiration #importance #optimistic #WelcomLife  मौत भी आनी.. होगी.. 
तो उसे इजाजत लेके आना होगा...
हमे चाहने वालो से भी जादा... 
खुदा को हमे चाहना होगा...
© ओम (जगदिशपुत्र प्रो. अमोल बाविस्कर)

जिन्होंने बेवजह जलील किया था... वहीं आज पैर छूने लगे है... वक्त ये तेरा कौनसा दाव है... के दुश्मन भी गले मिलने लगे है.... जो टालते थे.. कभी हमे जानबूज कर.. आज मिलने.. बेकरार होने लगे है... किया था महफ़िल से बेदखल जिन्होंने... वहीं आज महफ़िल सजाने लगे है.. ज़िद करो तो मेहनत भी करो... यही सितारे कहने लगे है... जिस राह से नाकारा गया था.. आज उसिकी मंजिल होने लगे है... © ओम (जगदिशपुत्र प्रो. अमोल बाविस्कर)

#SuperBloodMoon #Inspiration #Shaayari #Reality  जिन्होंने बेवजह जलील किया था...
वहीं आज पैर छूने लगे है...
वक्त ये तेरा कौनसा दाव है...
के दुश्मन भी गले मिलने लगे है....
जो टालते थे.. कभी हमे जानबूज कर..
आज मिलने.. बेकरार होने लगे है...
किया था महफ़िल से बेदखल जिन्होंने...
वहीं आज महफ़िल सजाने लगे है..
ज़िद करो तो मेहनत भी करो... 
यही सितारे कहने लगे है... 
जिस राह से नाकारा गया था.. 
आज उसिकी मंजिल होने लगे है... 
© ओम (जगदिशपुत्र प्रो. अमोल बाविस्कर)

फिराक जारी है... तलाश जारी है.. हर रूह मे प्यारे बरसात भारी है... राहें न बनाए जो.. वो इरादे ही क्या... (हम राह) है ऐसी.. राहो को पनाह जो दे... गुमराह है मंज़िल तू ढूंढ़ने चला है... भीड़ मे हर कोइ अकेला था अकेला है... जिस बज्म मे, नाचीज़.. इतरा रहा है इतना.. तू बूंद है उसकी सागर जो हमारा है... @ओम (जगदिशपुत्र प्रो. अमोल बाविस्कर)

#amolbaviskar #Inspiration #optimistic #ombaviskar #Reality  फिराक जारी है... तलाश जारी है..
हर रूह मे प्यारे बरसात भारी है...

राहें न बनाए जो.. वो इरादे ही क्या...
(हम राह) है ऐसी.. राहो को पनाह जो दे...

गुमराह है मंज़िल तू ढूंढ़ने चला है...
भीड़ मे हर कोइ अकेला था अकेला है...

जिस बज्म मे, नाचीज़.. इतरा रहा है इतना..
तू बूंद है उसकी सागर जो हमारा है...

@ओम (जगदिशपुत्र प्रो. अमोल बाविस्कर)

फिराक जारी है... तलाश जारी है.. हर रूह मे प्यारे बरसात भारी है... राहें न बनाए जो.. वो इरादे ही क्या... (हम राह) है ऐसी.. राहो को पनाह जो दे... गुमराह है मंज़िल.. तू ढूंढ़ने चला है... भीड़ मे, हर कोइ.. अकेला था.. अकेला है... जिस बज्म मे, नाचीज़.. इतरा रहा है इतना.. तू बूंद है उसकी.. सागर जो हमारा है... @ओम (जगदिशपुत्र प्रो. अमोल बाविस्कर)

#amolbaviskar #Inspiration #optimistic #ombaviskar #Reality  फिराक जारी है... तलाश जारी है..
हर रूह मे प्यारे बरसात भारी है...

राहें न बनाए जो.. वो इरादे ही क्या...
(हम राह) है ऐसी.. राहो को पनाह जो दे...

गुमराह है मंज़िल.. तू ढूंढ़ने चला है...
भीड़ मे, हर कोइ.. अकेला था.. अकेला है...

जिस बज्म मे, नाचीज़.. इतरा रहा है इतना..
तू बूंद है उसकी.. सागर जो हमारा है...

@ओम (जगदिशपुत्र प्रो. अमोल बाविस्कर)
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