गलतफहमी की आंधी,
ना जाने कितने मजबूत
रिश्तो के घोसले गिरा देती है।
केवल एक अनसुनी गलती,
संस्कार के डोर धरा देती हैं ।
उलझ जाते है पल मे
सुलझे हुए रिश्ते,
जब जीते हुए दिल कोे
साजिशे हरा देती हैं ।
Neha..
मेरे शहर की रौनक
तुम्हारे शहर में कहा ।
मेरे शहर की सुनहरी धुप,
तुम्हारी दोपहर में कहा।
हम तो गम भी किसी के चुरा लेते हैं,
मगर किसी का गम ऊधार ले सको
ऐसा तुम्हारा जिगर कहा।
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