Akash Rathod

Akash Rathod Lives in Indore, Madhya Pradesh, India

लेखक दिल से

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तुम मुझसे मिलने आया करो इन अंधेरों में ये अंधेरा ही है जो सबको एक जैसा ही देखता है उजाले की तरह नहीं उजाले से होती हैं प्रेम में बाधाएं उच - नीच की जात - पात की छोटे - बड़े की अमीर - गरीब की इस समाज की उनके बनाए गए नियमों की पर ये अंधेरा नहीं मानता जात - पात, उच - नीच, छोटा - बड़ा, अमीर - गरीब और न ही मानता है ये कोई नियम.

 तुम मुझसे मिलने आया करो 
इन अंधेरों में
ये अंधेरा ही है 
जो सबको एक 
जैसा ही देखता है
उजाले की तरह नहीं
उजाले से होती हैं
प्रेम  में  बाधाएं 
उच - नीच की
जात - पात की
छोटे - बड़े की
अमीर - गरीब की
इस समाज की
उनके बनाए गए नियमों की
पर ये अंधेरा नहीं मानता 
जात - पात, 
उच - नीच, 
छोटा - बड़ा, 
अमीर - गरीब 
और न ही मानता है
 ये कोई नियम.

#sunlight #Nojoto #nojotohindi #nojotowriters #Love #poem

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ये बात सच है ये बात सच है की आदमी से खफा परिंदे। जो बस्तियों से गए तो जा कर सुनाया जंगल को हाल अपना तो जानवर भी डरे हुए थे ये बात सच है ये बात सच है वादियां भी हवाओं को ये बता रही थी कि बस्तियों की तरफ़ न जाओ धुएं के बादल दबोच लेंगे मगर हवाओं का दिल न माना ये बात सच है , ये बात सच है कि पेड़ पौधे, चट्टान पत्थर तमाम नदियों से कह रहे थे कि उधर न जाओ शहर वाले जहर बना के तुम्हारे दामन में घोल देंगे वो मगर वो निदिया थीं मा की जैसे, कैसे बच्चो से दूर बहती ये बात सच है, ये बात सच है न बस्तियों में न उगते सूरज की अहमियत थी न डलते सूरज की कद्र बाक़ी ये बात सच है ये बात सच है कि तरक्कीयो नशे में इंसा बेहक रहा था जो सांस देता है आदमी को वो सब्ज जंगल दबक रहा था सिमट रहा था ये बात सच है,ये बात सच है कि आदमी ने नदी को झेड़ा जमी को झेड़ा, समंदरो को हवाओं को झेड़ा अजब सा सिस्टम बना के अपने ख़ुदा को हल्के ख़ुदा को झेड़ा गरज के फिर उसने सभी को झेड़ा फ़िर ख़ुदा ने सबकी सुनके, कोरोना जैसी वावा को चुनके गुरुर उसका मीटा दिया है डारा घर पे बीठा दिया है ये बात सच है ये बात सच है © कमरूद्दीन फलक

#नज़्म #nojotowriters #poem  ये बात सच है ये बात सच है
की आदमी से खफा परिंदे।
जो बस्तियों से गए तो जा कर सुनाया
 जंगल को हाल अपना तो जानवर भी डरे हुए थे
ये बात सच है ये बात सच है
वादियां भी हवाओं को ये बता रही थी
कि बस्तियों की तरफ़ न जाओ धुएं के बादल दबोच लेंगे 
मगर हवाओं का दिल न माना 
ये बात सच है , ये बात सच है
कि पेड़ पौधे, चट्टान पत्थर तमाम नदियों से कह रहे थे 
कि उधर न जाओ शहर वाले जहर बना के 
तुम्हारे दामन में घोल देंगे वो
मगर वो निदिया थीं मा की जैसे,
 कैसे बच्चो से दूर बहती
ये बात सच है, ये बात सच है
न बस्तियों में न उगते सूरज की अहमियत थी 
न डलते सूरज की कद्र बाक़ी
ये बात सच है ये बात सच है 
कि तरक्कीयो नशे में इंसा बेहक रहा था 
जो सांस देता है आदमी  को
 वो सब्ज जंगल दबक रहा था सिमट रहा था 
ये बात सच है,ये बात सच है
कि आदमी ने नदी को झेड़ा
जमी को झेड़ा, समंदरो को हवाओं को झेड़ा
अजब सा सिस्टम बना के 
अपने ख़ुदा को हल्के ख़ुदा को झेड़ा 
गरज के फिर उसने सभी को झेड़ा
 फ़िर ख़ुदा ने सबकी सुनके,
 कोरोना जैसी वावा को चुनके
गुरुर उसका मीटा दिया है 
डारा घर पे बीठा दिया है
ये बात सच है ये बात सच है

© कमरूद्दीन फलक

है बड़ा क़िस्सा ये यार सुनने को वो द्वार पर है खड़ा प्यार सुनने को जाती हैं हवाएं उसके दर पर उसकी खूबसूरती का सार सुनने को हमें भी हो चला है शौक अब यार उसको बे-शुमार सुनने को जाते हैं सारे आज कल उसके दर पे बस ख़ुद को दोस्त- दार सुनने को

#nojotohindi #poem  है बड़ा क़िस्सा ये यार सुनने को
वो द्वार पर है खड़ा प्यार सुनने को

जाती हैं हवाएं उसके दर पर
उसकी खूबसूरती का सार सुनने को

हमें भी हो चला है शौक अब
यार उसको बे-शुमार सुनने को

जाते हैं सारे आज कल उसके दर पे
बस ख़ुद को दोस्त- दार सुनने को

#nojotohindi

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#NojotoWriter #poem

#NojotoWriter

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इल्म है दर्द-शनासा का मुझे हमनें भी इश्क़ किया है

#nojotohindi #thought  इल्म है दर्द-शनासा का मुझे 
हमनें भी इश्क़ किया है

#nojotohindi

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कल तक जो दलीलों पर सुना रहे थे फ़ैसले आज उनको सबूतों से इतना प्यार क्यों है?

#nojotowriters #nojotohindi  कल तक जो दलीलों पर सुना रहे थे फ़ैसले
आज उनको सबूतों से इतना प्यार क्यों है?
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