कार्तिकेय शर्मा

कार्तिकेय शर्मा

"स्पर्श" राजस्थान कला रत्न, राष्ट्रीय युवा संसद प्रतिभागी राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता विजेता कवि,मंच संचालक, प्रेरक वक्ता, लेखक

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अंधकार को ज्योतिर्मय करने हेतु, आओ हम सब दीप जलाए । क्यो ना देश की मिट्टी से, एक अलौकिक प्रकाश जगाए । निराश मन को सम्बल दें, आओ सब आशादीप जलाए । एक एक से जुड़ कर हम, जगमग भारत देश बनाये ।

#शायरी #lockdown #deepak #corona #5April  अंधकार को ज्योतिर्मय करने हेतु,
आओ हम सब दीप जलाए ।
क्यो ना देश की मिट्टी से, 
एक अलौकिक प्रकाश जगाए ।
निराश मन को सम्बल दें, आओ सब आशादीप जलाए ।
एक एक से जुड़ कर हम,
जगमग भारत देश बनाये ।

मौत के खौफ से साँसे भी छान कर लेने लगे कल तक जो कहते थे साँस लेने की फुर्सत नही..

#शायरी #lokdown #corona #Death #virus  मौत के खौफ से साँसे भी छान कर लेने लगे
कल तक जो कहते थे साँस लेने की फुर्सत नही..

महंगाई के दौर की देशभक्ति बड़ी सस्ती है साहेब, पहले फाँसी पर लटकना होता था, अब सिर्फ घर पर अटकना हैं। कवि कार्तिकेय शर्मा "स्पर्श"

 महंगाई के दौर की देशभक्ति बड़ी सस्ती है साहेब,
पहले फाँसी पर लटकना होता था, अब सिर्फ घर पर अटकना हैं।




कवि कार्तिकेय शर्मा "स्पर्श"

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माँ दुर्गे,दुःख हरणी,अब तो इसे रोको'ना' असुर मर्दिनी,सुख करनी,अब तो इसे रोको'ना' हे गौरी,शिवप्यारी,अब तो इसे रोको'ना' प्रलयकाल सब नाशनहारी,अब तो इसे रोको'ना' जगतजननी,बच्चों की माई,अब तो इसे रोको'ना' त्राहि त्राहि मच गई जिसकी वजह से,उसे नष्ट करो'ना' कवि कार्तिकेय शर्मा "स्पर्श"

 माँ दुर्गे,दुःख हरणी,अब तो इसे रोको'ना'
असुर मर्दिनी,सुख करनी,अब तो इसे रोको'ना'
हे गौरी,शिवप्यारी,अब तो इसे रोको'ना'
प्रलयकाल सब नाशनहारी,अब तो इसे रोको'ना'
जगतजननी,बच्चों की माई,अब तो इसे रोको'ना'
त्राहि त्राहि मच गई जिसकी वजह से,उसे नष्ट करो'ना'


कवि कार्तिकेय शर्मा "स्पर्श"

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