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लफ्जों पे मिठास और मन में द्वेष आजकल के लोगों का यही है भेष। ©Kk_upadhyay
Kk_upadhyay
16 Love
White आंखों में आंसू और दिल ग़मगीन थे शब ए तन्हाई में जो गुज़रे वो पल भी क्या हसीन थे। ©Kk_upadhyay
14 Love
शहरों की तो सुबह भी काली गाँव की वो हरियाली थकते नहीं थे दौड़ - दौड़ कर और नहीं थी फूलती साँसे पर यहाँ तो सड़को पर ही चलते - चलते रूकती साँसे। ©Kk_upadhyay
18 Love
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Wednesday, 21 September | 10:46 pm
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'नारी' है जीवन का आधार अगर 'नारी' न होती तो कैसे चलता ये सन्सार सोचो अगर 'यें' न होती तो कैसी होती ये दुनियां कहां सुनने को मिलती 'दादी' की कहानियां 'बहन' ना होती तो सुनीं ही रहती हमारी कलाईयां कौन करता 'मां' जैसा प्यार और कौन करता हमारा इंतेज़ार... 'नारी' ही है जीवन का आधार। ©Kk_upadhyay
12 Love
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