ऐ आश्ना कॉल तो हम तुम्हे आज भी कर सकते थे।
मगर देखना चाहते थे,
हमसे कितना प्यार है तुम्हे।।
हर इल्जाम की सफाई हम आज भी दे सकते थे।
मगर देखना चाहते थे,
हम पर कितना भरोसा है तुम्हे।।
न चाह कर भी इतनी दूरियां बना बैठे।
सब कुछ पा कर सब कुछ गवाँ बैठे।।
हाल-ए-जिंदगी जहमत बना बैठे।
तू ही मेरा सब कुछ थी जिसे हम गवाँ बैठे।।
-हिमाँशुदीक्षित
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