""मेरी केलम""
छोटी सी मेरी "कलम "निर्जीव सी दिखती है,
पर भाव ना जाने क्या-क्या लिखती हैं,
राजपूतों की कुर्बानी लिखती है,
राजा रानी की कहानी लिखती है,
प्रेयसी की वेदना लिखती है,
प्रेमी की संवेदना लिखती है,
होली दीवाली त्योहार लिखती है,
गणेश चतुर्थी,नवरात्रि का श्रृंगार लिखती,
देवताओं में समाहित शक्ति लिखती है,
प्रहलाद मीरा की भक्ति लिखती है,
बड़ी बड़ी हस्तियां लिखती है,
निर्धनों की बस्तियां लिखती है,
ऋषि मुनियों का ज्ञान लिखती है,
बाबा बने ढोंगियों का अज्ञान लिखती है,
महाभारत शास्त्र पुराण लिखती है,
गीता और कुरान लिखती हैं,
रात को काले बादलों से घेरा लिखती है,
नया सवेरा लिखती है,
प्रेमिका प्रेमी की मधुर बेला लिखती है,
प्रेमी के वियोग में प्रियसी को अकेला लिखती है,
कुंडली हाथ की रेखाएं ,बदलता वक्त लिखती है,
जन्म मरण का सत्य लिखती है,
हां यह छोटी सी मेरी "कलम "निर्जीव सी दिखती है ,
पर भाव न जाने क्या-क्या लिखती है।।
"पारुल✍️
©Parul Mehrotra
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