Mohini_uvaach

Mohini_uvaach Lives in Kanpur, Uttar Pradesh, India

"है भला परिचय क्या मेरा, और क्या मेरी कहानी है? शब्द कहेंगे मेरा कथानक, शब्द ही मेरी निशानी हैं। " © मोहिनी_उवाच

www.mohiniuvaach.blogspot.in

  • Latest
  • Popular
  • Video
#nojotohindi #Nojotovoice #himalay #kavita #Dinkar

हिमालय (शेष भाग) - रामधारी सिंह 'दिनकर' #Nojotovoice #nojotohindi #Dinkar #himalay #kavita

162 View

#nojotohindi #Nojotovoice #voicetale #kavita #Dinkar

हिमालय (भाग 1)- रामधारी सिंह 'दिनकर' #Nojotovoice #nojotohindi #Dinkar #kavita #voicetale

84 View

#Nojotovoice #nojotohindi #RASHMIRATHI #Dinkar

कृष्ण की चेतावनी -भाग 2(रश्मिरथी-तृतीय सर्ग) दिनकर जी की कालजयी कृति 'रश्मिरथी' के अंश 'कृष्ण की चेतावनी' का दूसरा भाग समीक्षार्थ प्रस्तुत.. त्रुटियों के लिए अग्रिम क्षमा..🙏🙏 #Nojotovoice #nojotohindi #Dinkar #RASHMIRATHI

129 View

#Nojotovoice #nojotohindi #RASHMIRATHI #Dinkar

कृष्ण की चेतावनी-भाग 1 (रश्मिरथी-तृतीय सर्ग) रामधारी सिंह 'दिनकर' जी की कृति रश्मिरथी के तृतीय सर्ग के एक अंश का आरंभ कर रही हूँ इस पोस्ट के साथ.. सुझावों और समीक्षा का स्वागत है.. त्रुटियों के लिए दिनकर क्षमा करें..🙏🙏 #Nojotovoice #nojotohindi #Dinkar

160 View

धुन वही पर अड़ गई है, ताल सुर से लड़ गई है! काठ-पुल आशा की लकड़ी आंसुओं में सड़ गई है! मृत्यु आती ही नहीं है, श्वास पीछे पड़ गई है! डाल तो ऊंची ही होगी, खूब नीचे जड़ गई है! गंतव्य जानती थी अपना, लाश खुद ही गड़ गई है! एक पत्ती वसंत में देखो, 'क्रांति!' कहकर झड़ गई है!

#nojotohindi  धुन  वही पर अड़ गई है,
ताल सुर से लड़ गई है!

काठ-पुल आशा की लकड़ी
आंसुओं में सड़ गई है!

मृत्यु आती ही नहीं है,
श्वास पीछे पड़ गई है!

डाल तो ऊंची ही होगी,
खूब नीचे जड़ गई है!

गंतव्य जानती थी अपना,
लाश खुद ही गड़ गई है!

एक पत्ती वसंत में देखो,
'क्रांति!' कहकर झड़ गई है!

गर्भ से आकर उसे ही आज लज्जित कर गया.! पाप ये कैसा अरे इस आत्मा पर धर गया.! था घृणा का पात्र मैं निश्चित,अरे तो क्या हुआ? दोष मेरा था मगर आरोप तो तुम पर गया.! अपने आँचल से छिपाती अश्रु रह गई धरा, मूंदकर आँखें क्षितिज की ओर वह अंबर गया.! लज्जा मुझे आई नहीं हैवान बनने में मगर, कूदकर आकाश से प्रतिबिंब मेरा मर गया.! आज जाने क्या हुआ था भोर मेरे कक्ष में, देखकर मुझको अरे था आईना क्यूँ डर गया?

#nojotohindi  गर्भ से आकर उसे ही आज लज्जित कर गया.! 
पाप ये कैसा अरे इस आत्मा पर धर गया.!

था घृणा का पात्र मैं निश्चित,अरे तो क्या हुआ? 
दोष मेरा था मगर आरोप तो तुम पर गया.! 

अपने आँचल से छिपाती अश्रु रह गई धरा, 
मूंदकर आँखें क्षितिज की ओर वह अंबर गया.! 

लज्जा मुझे आई नहीं हैवान बनने में मगर, 
कूदकर आकाश से प्रतिबिंब मेरा मर गया.! 

आज जाने क्या हुआ था भोर मेरे कक्ष में, 
देखकर मुझको अरे था आईना क्यूँ डर गया?
Trending Topic