फुर्सत जो मिले तो मुझे पढ़ना जरूर मेरी बातों को, मेरे वादों को, मेरे इरादों को और मुझको झूठा समझा तुमने .
एक रिश्ते को पहले जैसे बनाने की सिद्दत को तुम्हें हासिल करने का ज़रिया माना तुमने.
यकीं नहीं था तुम्हें मुझपर पर फिर भी सबसे ज्यादा यकीन करता था तुम पर .
सच में चाहता था तुझको या सिर्फ पागलपन था ये मुझमें इस बात को सोचना जरूर.
कभी फुर्सत जो मिले इन महफ़िलों से तो मुझे पढ़ना जरूर.।
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