हवा ने उनकी ज़ुल्फ़ों को कुछ यूँ छुआ,
لپٹ جاتی ہے عارض سے کبھی شانوں پہ بل کھاتی
ہے کہتی کیا خمِ گیسو سماعت کر کے دیکھو نا
लिपट जाती है आरिज़ से कभी शानों पे बलखाती
है कहती क्या ख़म ए गेसू समाअत कर के देखो ना
हवा ने उनकी ज़ुल्फ़ों को कुछ यूँ छुआ,
Hawao nai unki julfo ko kuch yun chua
Humai bhi pata laga aaj kishi khoobsurat hasina ka darsh hua
Usnai ankho sai jo chua
Na jane dil ko kya hua
हवा ने उनकी ज़ुल्फ़ों को कुछ यूँ छुआ, कि उनका नागिन के जैसे लहराते हुए मेरे महबूब के चेहरे पर आना हुआ.
उन जुल्फों के पीछे से जब मेरे महबूब ने अपनी नज़रों को झुकाया
खुदा कसम उनकी इस अदा ने हमारे दिल के हर एक तार को गिटार के जैसे झन झनाया.
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