मैं क्या हूँ ?.....
जब मुझे खरीदा गया
बडे प्यार से उठाया गया
घर भी बडे अच्छे से लाया गया ....
मैने फिर भी आखिर जमीन पायी
बेबसी और उदासी मेरे हिस्से में आयी
और मुझे रोंधते एक पल उसे दया भी न आयी ....
गर्मी सर्दी बारिश सब झेलता आया
हर पल मैने उसका बखूभी साथ निभाया
जोडो में होकर भी मैं अपने जोडीदार से न मिल पाया ...
मैने अपना स्थान हमेशा कदमो में ही पाया
हमेशा मुझे मेरी कीमत बताकर लोगो को समझाया
फिर भी मैं बेचारा ही कहलाया ...
कभी मैने छोटे को बडे से पिटवाया
और कभी कभी बडे झगडों को मैने पल में ही सुलझाया
कभी मैने गिरते संस्कारों को भी बचाया ....
बताओ मैं कौन
अभी तक क्यूँ बैठे हो मौन
अपने दिमाग की बत्ती करो ऑन
बताओ मैं कौन ?????
दीपक अग्रवाल .....
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