Chirag Agrawal

Chirag Agrawal Lives in Indore, Madhya Pradesh, India

A simple hindi writer

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जो बीत गया, उसे भूल जाते है चलो, नई राह पर बढ़ जाते है। नवीन द्वार खुल रहे है बुला हमे रहे है पलके बिछाये, खींच रहे अपनी ओर दिशाहीन समाज, जाना भी चाहता उस ओर। पर प्रवेश के पूर्ण एक शर्त रखी है शर्त स्वाभाविक, आत्म चिंतन के लिए रखी है भय, चिंता और निदाघ को तुम्हे त्यागना होगा जो प्रतिकूल परिस्थितिया देखी, उसे भुलाना होगा। माना जो जटिलताएँ देखी, उसे भुलाना सरल नही जिन्हें अपनो को खोया, उनके बिना चलना सरल नही। पर हर स्याह तिमिर से लड़ने के लिए एक दीप एक ज्योति अवश्य होती है अवसाद का अंधकार जितना गहरा हो उम्मीद की एक किरण अवश्य होती है। नया साल, उसी उम्मीद की ज्वाला है जो हो गया, उसे भूलने में ही भला है। प्रभंजन से अब मुक्त होना होगा सबको साथ लेकर, प्रवेश करना होगा 'सुस्वागतम' 'जश्न' का अर्थ समझते हुए हम सब को फिर से मुस्कुराना होगा।

#hindi_poetry #hindinojoto #Hindi  जो बीत गया, उसे भूल जाते है
चलो, नई राह पर बढ़ जाते है।

नवीन द्वार खुल रहे है
बुला हमे रहे है
पलके बिछाये, खींच रहे अपनी ओर
दिशाहीन समाज, जाना भी चाहता उस ओर।

पर प्रवेश के पूर्ण एक शर्त रखी है
शर्त स्वाभाविक, आत्म चिंतन के लिए रखी है
भय, चिंता और निदाघ को तुम्हे त्यागना होगा
जो प्रतिकूल परिस्थितिया देखी, उसे भुलाना होगा।

माना जो जटिलताएँ देखी, उसे भुलाना सरल नही
जिन्हें अपनो को खोया, उनके बिना चलना सरल नही।

पर हर स्याह तिमिर से लड़ने के लिए
एक दीप एक ज्योति अवश्य होती है
अवसाद का अंधकार जितना गहरा हो
उम्मीद की एक किरण अवश्य होती है।

नया साल, उसी उम्मीद की ज्वाला है
जो हो गया, उसे भूलने में ही भला है।

प्रभंजन से अब मुक्त होना होगा
सबको साथ लेकर, प्रवेश करना होगा
'सुस्वागतम' 'जश्न' का अर्थ समझते हुए
हम सब को फिर से मुस्कुराना होगा।

'कितना सुखद होता अगर हर रात दीवाली होती रोज़ आनंद की वृद्धि होती कितना समृद्ध होता हर नगर।' 'मित्र ख़याल अच्छा है मगर हर रात अमावस्या नही हो सकती रोज़ गली अंधकार में नही हो सकती मित्र, खुशी संग गम भी होता हर डगर।' मनु कृत्रिम प्रकाश से खुश होता मगर हर रात दीप की पूरी बाती नही जलती रोज़ प्रकृति से दूर क्या तुम्हारी देह नही जलती मनु प्रकृति संग रहो, समृद्धि चाहते हो अगर।

#Diwali #Lights  'कितना सुखद होता अगर
हर रात दीवाली होती
रोज़ आनंद की वृद्धि होती
कितना समृद्ध होता हर नगर।'

'मित्र ख़याल अच्छा है मगर
हर रात अमावस्या नही हो सकती
रोज़ गली अंधकार में नही हो सकती 
मित्र, खुशी संग गम भी होता हर डगर।'

मनु कृत्रिम प्रकाश से खुश होता मगर
हर रात दीप की पूरी बाती नही जलती
रोज़ प्रकृति से दूर क्या तुम्हारी देह नही जलती
मनु प्रकृति संग रहो, समृद्धि चाहते हो अगर।

॥भारत दर्शन॥ विश्व की पहली सभ्यता है भारत विश्व को पथ दिखाती भूमि है भारत विश्व का संकट में किया मार्गदर्शन विश्व का स्वर्ग है भारत दर्शन। कंकर-कंकर है शंकर, अणु-अणु कृष्ण है पल-पल उत्सव है, हर-हरि का वास है कल-कल बहती गंगा, जल-जल बहता अमृत मृदु-मृदु ऋतु, घने-घने उपवन छल-छल करता द्वेष, थर-थर करते वैरी कदम-कदम पर प्रेम है, दिल-दिल में एकता है मिल-मिलकर गले ईद हम मानते साथ-साथ दीवाली पर दिये जलाते हाथो-हाथ नए साल का स्वगत करते गली-गली भारत का जयकारा लगाते। स्वधीनता-अखंडता-देशप्रेम की बात हो तब पंत-धर्म नही सिर्फ भारतीय है पहचान। -चिराग अग्रवाल

#independenceday2020 #कविता #hindi_poetry #Hindi  ॥भारत दर्शन॥

विश्व की पहली सभ्यता है भारत
विश्व को पथ दिखाती भूमि है भारत
विश्व का संकट में किया मार्गदर्शन
विश्व का स्वर्ग है भारत दर्शन।

कंकर-कंकर है शंकर, अणु-अणु कृष्ण है
पल-पल उत्सव है, हर-हरि का वास है
कल-कल बहती गंगा, जल-जल बहता अमृत
मृदु-मृदु ऋतु, घने-घने उपवन
छल-छल करता द्वेष, थर-थर करते वैरी
कदम-कदम पर प्रेम है, दिल-दिल में एकता है
मिल-मिलकर गले ईद हम मानते
साथ-साथ दीवाली पर दिये जलाते
हाथो-हाथ नए साल का स्वगत करते
गली-गली भारत का जयकारा लगाते।

स्वधीनता-अखंडता-देशप्रेम की बात हो
तब पंत-धर्म नही सिर्फ भारतीय है पहचान।
-चिराग अग्रवाल

हे पथिक, ऐसे मत जी की अंतिम क्षण है आज ऐसे मत सोच गिरेगी अब कोई गाज मिलकर जीवन का पहिया बढ़ाएंगे ये दिन भी गुजर जाएंगे। हे पथिक, प्रकृति का एक नियम अटल है अंधियारा छत्ता है सूर्य निकलता है एक दिन सभी पुष्प फिर खिलेंगे ये दिन भी गुजर जाएंगे। हे पथिक, ये ब्रम्सत्य है कि मरना सभी को एक दिन ये सत्य है कि कलियुग में आनी प्रलय एक दिन उस प्रलय में तो श्री कृष्ण स्वयं आकर बचाएंगे तू चिंता मत कर ये दिन भी गुजर जाएंगे।

#कविता #nojotohindi #hindipoetry #lockdown #corona  हे पथिक,
ऐसे मत जी की अंतिम क्षण है आज
ऐसे मत सोच गिरेगी अब कोई गाज
मिलकर जीवन का पहिया बढ़ाएंगे
ये दिन भी गुजर जाएंगे।

हे पथिक,
प्रकृति का एक नियम अटल है
अंधियारा छत्ता है सूर्य निकलता है
एक दिन सभी पुष्प फिर खिलेंगे
ये दिन भी गुजर जाएंगे।

हे पथिक,
ये ब्रम्सत्य है कि मरना सभी को एक दिन
ये सत्य है कि कलियुग में आनी प्रलय एक दिन
उस प्रलय में तो श्री कृष्ण स्वयं आकर बचाएंगे
तू चिंता मत कर ये दिन भी गुजर जाएंगे।

ये दिन भी गुजर जाएंगे। #Hindi #hindipoetry #nojoto #nojotohindi #lockdown #corona

12 Love

#Labour_Day तड़पती धूप से शरीर गीला हो गया है, चलते चलते मेरे पैर अकड़ गए है, पर न रूकता हूँ न आराम करता हूँ क्योकि मै प्रवासी हूँ, मुझे घर जाना है। भूख के कारण अब बोला नही जाता है बिना पानी के शरीर कंगाल बन चला है पर न मै खा सकता हूँ न खिला सकता हूँ क्योकि मै प्रवासी हूँ, मुझे घर जाना है। कहा गया था की ये व्याधि अमीरो की है दाल-भाट वालो का कोई संबंध नही है पर न ये सोचने का टाइम हैं न सोचता हूँ क्योकि मै प्रवासी हूँ, मुझे घर जाना है।

#कविता #Labour_Day  #Labour_Day 
तड़पती धूप से शरीर गीला हो गया है,
चलते चलते मेरे पैर अकड़ गए है,
पर न रूकता हूँ न आराम करता हूँ
क्योकि मै प्रवासी हूँ, मुझे घर जाना है।
भूख के कारण अब बोला नही जाता है
बिना पानी के शरीर कंगाल बन चला है
पर न मै खा सकता हूँ न खिला सकता हूँ
क्योकि मै प्रवासी हूँ, मुझे घर जाना है।
कहा गया था की ये व्याधि अमीरो की है
दाल-भाट वालो का कोई संबंध नही है
पर न ये सोचने का टाइम हैं न सोचता हूँ
क्योकि मै प्रवासी हूँ, मुझे घर जाना है।

#Labour_Day

16 Love

ये सर्द सुनहरी सुबह है, और हाथ मे चाय का प्याला है खड़ा छज्जे में एक आँस लिए काश! आज तो दिख जाए एक बार तो नज़र मिल जाए पर आज भी मायूस लौटना पड़ा घना कोहरा दीवार बन खड़ा एक बार दिख-मिल जाती तो एक ऊर्जा-सी भर जाती हमारी इच्छा से क्या होगा अपनी मर्जी की मालिक है वो अब धूप का कर भी क्या सकते है?

#कविता #hindi_poetry #Sunhari_Subh #nojotohindi  ये सर्द सुनहरी सुबह है, और हाथ मे चाय का प्याला है
खड़ा छज्जे में एक आँस लिए
काश! आज तो दिख जाए
एक बार तो नज़र मिल जाए
पर आज भी मायूस लौटना पड़ा
घना कोहरा दीवार बन खड़ा
एक बार दिख-मिल जाती
तो एक ऊर्जा-सी भर जाती
हमारी इच्छा से क्या होगा
अपनी मर्जी की मालिक है वो
अब धूप का कर भी क्या सकते है?
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