इस बिखरे भटके से माहौल में
मैंने एक सिमटी सी मुकम्मल हस्ती को पाया हैं.....
इस खोयी हुई भीड़ में उसने
मुझे खोजा/बनाया/सजाया और मैने उसे पाया हैं....
इन कमजोर महलो के बीच
मैंने एक आलीशान बुनियाद को पाया हैं.....
हा अगर होते होंगे भगवान तोह
मैंने मेरी जिंदगी के 20 साल सिर्फ "उन्ही" के इबादत में पाया हैं,,,,
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