बात कुछ भी नहीं तुझसे एक सवाल ही था
पर तेरा जवाब न देना भी एक जवाब ही था
ज़मी पे बारिशो की बूँद कैसे गिरतीं है
फलक ये तेरे रोने का अहसास ही था
writter✍️-saif raza khan.s
क्या सच में हम तुमको भुला बैठे है
बहते हुए आँशु को पलकों से छुपा बैठे है
कोई तो बातऐ की क्या भूल हुई हमसे
हर राज बताया और एक राज छुपा बैठे है
बात सबकी नहीं लाग्जिशे बस उन गुलों की है
जो अपने बगीचे से खुश्बू को छुपा बैठे है
नेको को अच्छे काम पर किस बात का घमंड
जब सबसे नेक गुनाहगारो को को गले लगा बैठे है
साहिबे लौलक से सैफ इश्क़ ही ऐसा है
इक ग़म को जो पाया तो हर गम को भुला बैठे है
writter✍️-saif raza khan.s
पेड़ को नाज़ है अपने हसीन पत्तो पर
आँधियाँ उनको भी औकात दिखा जाती है
ज़ख्म को नाज़ है तबीब जिन दवाई पर
वो घाव ठीक कर और दाग़ बना जाती है
गुनाहगार हु क्यूँ नाज़ हो नसीबा पर
तेरी दुआ है जो तकदीर बना जाती है
writter✍️-saif raza khan.s
तुम्हारे दिल में है अहंकार बहुत हुआ
हृदय से अब तो करलो प्यार बहुत हुआ
रंगी है खून से तलवार बहुत हुआ
तुम्हारी हो चुकी है हार बहुत हुआ
जिगर का खून पिलाया जिया दी चहरे को
उन्ही पे करते हो अत्याचार बहुत हुआ
तुम्हारे आशियाने को सजाया फूलो से
उन्ही को कर दिया पामाल बहुत हुआ
चमन उसी ने उजाड़ा उसी ने खाक किया
करें अब किसपे ऐतबार बहुत हुआ
writter✍️-saif raza khan.s
Mohd Aszad CA Faisal Khan _Siya392 L i k h a r i.... Danish Khan suFI akhter official
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ज़िन्दगी सवाल थी जवाब मांगने लगे
फ़रिश्ते ख्वाब में आ के हिसाब मांगने लगे
सुखनवरो ने खुद बना दिया सुखन का मज़ाक
जरा सी दाद क्या मिली ख़िताब मांगने लगे
writter --Dr rahat indori
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