Shreshth

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मैं अपने मन में कई अल्फ़ाज़ संजोए रखता हूं। और हृदय में अपने कई स्वपन संजोए रखता हूं। माना मेरी वाणी में बेशक कोई माधुर्य नहीं, परन्तु में अपनी वाणी में कटु सत्य संजोए रखता हूं।।

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Mirror वो अक्सर हंसा करता था औरों की शक्ल पर, खुद की शक्ल पर दाग देखा तो आइना तोड़ दिया।। ©Shreshth

#Mirror  Mirror वो अक्सर हंसा करता था औरों की शक्ल पर,
खुद की शक्ल पर दाग देखा तो आइना तोड़ दिया।।

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#Mirror

12 Love

ऐ जिन्दगी तुझसे कोई खास शिकायत नहीं है, वैसे भी मुझे खामखां रोने की आदत नही है। ©Shreshth

#poem✍🧡🧡💛 #unerasepoetry #RailTrack #Shikayat #revenge  ऐ जिन्दगी तुझसे कोई खास शिकायत नहीं है,
वैसे भी मुझे खामखां रोने की आदत नही है।

©Shreshth

माँ होती होगी शाम इस दुनिया में भले ही, उसके कदमों में हमेशा सहर है। वो है जिसे मेरी खैरियत की, हर पल की खबर है। आज तक भटका नहीं हूं राह–ए–मंजिल में ‘श्रेष्ठ’, क्योंकि मेरी मां ही मेरी रहबर है। ©Shreshth

#माँ  माँ होती होगी शाम इस दुनिया में भले ही,
उसके कदमों में हमेशा सहर है।
वो है जिसे मेरी खैरियत की,
हर पल की खबर है।
आज तक भटका नहीं हूं राह–ए–मंजिल में ‘श्रेष्ठ’,
क्योंकि मेरी मां ही मेरी रहबर है।

©Shreshth

#माँ

11 Love

जहरीली इन फजाओं में, सुकून की कोई जगह ढूंढो। गम भरी इस जिंदगी में यारों, हंसने की कोई वजह ढूंढो।। ©Shreshth

#adventure #Shreshth #Shayar  जहरीली इन फजाओं में,
सुकून की कोई जगह ढूंढो।
गम भरी इस जिंदगी में यारों,
हंसने की कोई वजह ढूंढो।।

©Shreshth

अब अनजान राहों से भी, गुजरने लगा हूं मैं। रफीक कम हो रहे, शायद सुधरने लगा हूं मैं। बहुत रह चुका, फलक की ऊंचाई पर। आहिस्ता से जमीं पर, उतरने लगा हूं मैं। ©Shreshth

#शायरी  अब अनजान राहों से भी,
गुजरने लगा हूं मैं।
रफीक कम हो रहे,
शायद सुधरने लगा हूं मैं।
बहुत रह चुका,
फलक की ऊंचाई पर।
आहिस्ता से जमीं पर,
उतरने लगा हूं मैं।

©Shreshth

अब अनजान राहों से भी, गुजरने लगा हूं मैं। रफीक कम हो रहे, शायद सुधरने लगा हूं मैं। बहुत रह चुका, फलक की ऊंचाई पर। आहिस्ता से जमीं पर, उतरने लगा हूं मैं। ©Shreshth

8 Love

डूबती रही कश्ती मगर, किनारा न मिला। लड़खड़ाते रहे कदम मगर, सहारा न मिला। दुनिया की इस भीड़ में, हम ढूंढते रहे अपनों को, मतलबी दयार में कोई, हमारा न मिला। ©Shreshth

#शायरी  डूबती रही कश्ती मगर,
किनारा न मिला।
लड़खड़ाते रहे कदम मगर,
सहारा न मिला।
दुनिया की इस भीड़ में,
हम ढूंढते रहे अपनों को,
मतलबी दयार में कोई,
हमारा न मिला।

©Shreshth

#Life

8 Love

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