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White जिसको जितनी थी ज़रूरत उतना ही उसने जाना मुझे वो बढ़ते सिकुड़ते होंठों को मैं खुश हूं ऐसा माना मुझे कभी चाहतों को कुचल कर जिम्मेदारियों का बोझ दिया मुझे कभी जिम्मेदारियाँ निभाते हुए मेरी खुशियाँ छीना मुझसे वो एक ही तो है जिसे चाहा है मैंने या ख़ुदा तूने भी ना जाना मुझे कभी ख़ामोशियों में फिरता हूँ अब कभी तन्हाइयों नें घेरा है मुझे इतने सूरज आजमाए मैंने फिर भी दिखता चारो ओर अंधेरा है मुझे ©rj_vishwa
rj_vishwa
14 Love
White छुटा घर बार कहीं हम यार कहीं मेरा प्यार कहीं शहर अब ख़ास नहीं आँखों की वो प्यास नहीं कैसे देखूं सुकून भर वो साथ नहीं हम साथ नहीं चलो, कोई बात नहीं 😊 ©rj_vishwa
16 Love
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